मौरा गांव के ठाकुरद्वारा मंदिर में दी जाती थी स्वतंत्रता संग्राम को धार

By Arun Kumar

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Bargaon. Villagers tell that Thakurdwara temple revolutionaries had stayed in Thakurdwara temple before looting the weapons of British rule from Saharanpur-Delhi rail during British rule. Revolutionaries used to hide their weapons in the well built in the temple.
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अध्यक्ष त्रिपाठी ने निकाला था जलुसू
कांफ्रेंस में अंग्रेजी पुलिस को ठेंगा दिखाकर अध्यक्ष पं. हीरा बल्लभ त्रिपाठी ने जोरदार जुलूस निकाला था। गांव में खादी आश्रम बनाकर यहां से क्षेत्र में खादी का प्रचार प्रसार किया जाने लगा।

गांव में क्रांतिकारी की गतिविधियों को बढ़ता देख सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लेने पर 31 जौलाई 1930 को अंग्रेजी हुकूमत ने बाबू सूबा सिंह सहित कई लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। न्यायलय ने बाबू सूबा सिंह को एक वर्ष की कठोर सश्रम कारावास की सजा सुनाई। सजा के बाद भी वह पीछे नहीं हटे। गांव मौरा में ठाकुरद्वारा मंदिर व गांधी आश्रम आज भी आजादी के इतिहास की गाथा को जीवित रखे हुए हैं।

गोरों के रेल से हथियार लूटने से पहले मंदिर में ठहरे थे क्रांतिकारी

बड़गांव स्वतंत्रता संग्राम में सहारनपुर के गांव मौरा के ठाकुरद्वारा मंदिर का खासा अहम स्थान रहा था। मंदिर में क्रांतिकारियों द्वारा देश को आजाद कराने की गतिविधियों को धार दते थे। इसके अलावा ठाकुरद्वारा मंदिर से ही कांग्रेस सदस्यता व खादी अभियान को जन-जन तक पहुचाकर ब्रिटिश हुकूमत की जड़े हिलाने की शुरुआत हुई थी। आजादी को लेकर गांव मौरा के बाबू सूबा सिंह के आयोजन में ठाकुरद्वारा मंदिर में कई बार बड़ी बैठकें हुई, जिसके लिए बाबू सूबा सिंह सहित कई आंदोलनकारियों को जेल की यातनाएं सहनी पड़ी थीं।

बाद में आजाद भारत में पहली बार अंग्रेजी हुकूमत में बने थाना बड़गांव पर बाबू सूबा सिंह ने शान से तिरंगा फहराया था। हिन्दुस्तान को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी दिलाने के लिए गांव मौरा का ठाकुरद्वारा मंदिर क्रांतिकारियों की गतिविधियों का प्रमुख स्थान रहा था। क्षेत्र में बढ़ती क्रांतिकारियों की गतिविधियों को लेकर अंग्रेजी हुकूमत ने 1904 में बड़गांव में पुलिस चौकी की स्थापना की। जिसे बाद में 1907 में थाना बना दिया गया। असहयोग आंदोलन से प्रभावित होकर मौरा के सूबा सिंह तार बाबू की नौकरी छोड़कर आजादी की लड़ाई में कूद गए।

कई दिग्गज शामिल हुए थे कांफ्रेंस में

आठ और नौ मार्च को चली दो दिवसीय कांफ्रेंस में दस-दस मीलों के आसपास के गांवों के लोग जुटे थे। कांफ्रेंस में जिलेभर से बाबू मेलाराम,पं हीरा बल्लभ त्रिपाठी, बाबू अजीत प्रसाद जैन, मौलाना मंजुल चल नबी, लाला चांदमल, त्रिलोक चंद, टेकचंद भारती, पं. केशोराय शर्मा (लोटनी), ठाकुर अर्जुन सिंह, ठा. मुकुंद सिंह, ठा. बाबू सूबा सिंह व ठा फूलसिंह जैसे दिग्गज शामिल हुए थे।

निष्कर्ष

मौरा गांव के ठाकुरद्वारा मंदिर का इतिहास बड़ा ही रोचक है निश्चित रूप से इस पोस्ट के माध्यम से आपको मंदिर संबंधी पूरी जानकारी मिल चुकी है आशा करता हूं अगर आपको यह पोस्ट अच्छा लगा हो तो ज्यादा से ज्यादा सपोर्ट को शेयर करें।

FAQ

Q. मौरा गांव के ठाकुरद्वारा क्या है?

A. मंदिर

Arun Kumar

Arun Kumar is a senior editor and writer at www.bhartiyasarokar.com. With over 4 years of experience, he is adept at crafting insightful articles on education, government schemes, employment opportunities and current affairs.

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