बाबा भदेश्वर नाथ मंदिर का पूरा इतिहास
यूपी/बस्ती। उत्तर प्रदेश के बस्ती में स्थित बाबा भदेश्वर नाथ मंदिर (Baba Bhadeshwar Nath Temple) में स्थापित शिवलिंग (Shivalinga) अपने आप में एक इतिहास (History) समेटे रहा हुआ है।
इस शिवलिंग को श्रद्धालु अपने दोनों बांहों (both arms) में भर नहीं सकते, लोगो का मानना है की जब भी भक्त शिवलिंग को अपनी बांहों में लेना चाहते हैं। तो उस वक्त शिवलिंग का आकार अपने आप ही बड़ा हो जाता है।
पौराणिक कथाओं में बाबा भादेश्वर नाथ मंदिर
पौराणिक कथाओं को समेटे बाबा भादेश्वर नाथ मंदिर (Baba Bhadeshwar Mandir) पूरे बस्ती मण्डल के लिया एक अलग पहचान है। बस्ती जिला मुख्यालय से करीब 7 किमी की दूरी पर स्थित भादेश्वर नाथ गांव ( Bhadeshwar Nath village) में भगवान शिव का शिवलिंग स्थापित है। जो कही ना कही अपने आप में एक युग का इतिहास समेट रखा है। लोगो का मानना की यह शिवलिंग एक दिव्य ज्योति से साथ भादेश्वर नाथ गांव (Bhadeshwar Nath village) के घने जंगल (dense forest) में खुद से प्रगट हुआ था।
मंदिर का इहिहास
मंदिर के पुजारी जय प्रकाश गिरि का कहना है की इस शिवलिंग की उत्पत्ति आज से करीब 7000 वर्ष पूर्व (7000 years ago) यानी द्वापर युग में हुआ था। बताया जाता है की पहले इस स्थान पर बंदरगाह हुआ करता था। यहां अचानक एक दिन रात के वक्त लोगों ने एक दिव्य ज्योति प्रकाश देखा। जिसे उत्सुकता (curiosity) बस लोग यहां पर आकर देखने लगे और फिर उस स्थान पर खुदाई करना शुरू कर किया।
खुदाई करते वक्त जहरीली मधुमक्खियां, साप, बिच्छू आदि विषेले जीव निकलने लगे। जिसे देख खुदाई कर रहे लोग वहा से भागने लगे और पास में स्थित हत्तीयारवा नाले (Hattiyarwa drain) के पास जाकर वो लोग मर गए।
मंदिर का निमार्ण
मन्दिर का इतिहास वैसे तो हजारों साल पुराना है। लेकिन मन्दिर का जीर्णोउद्धार 1928 (Restoration1928) में बस्ती सदर तहसील (Basti Sadar Tehsil) के महसो (Mahaso) गांव के अयोध्या प्रसाद शुक्ल (Ayodhya Prasad Shukla) ने करवाया।
इससे पहले 15-20 लोगों ने मन्दिर बनवाने की कोशिश किया। लेकिन सभी ने दिन में मन्दिर बनाते थे। और रात में मन्दिर गिर (temple gir जाता था। एक दिन शिव भगवान, अयोध्या प्रसाद शुक्ल ( Ayodhya Prasad Shukla) के सपनों में आए और उन्होंने मन्दिर निमार्ण कराने के लिए कहा। मान्यता था उस दौरान जो भी मन्दिर निर्माण करवाता था उसका वंश समाप्त हो जाता था।
फिर भी अयोध्या प्रसाद ने मन्दिर निमार्ण (temple Building शुरू कराया। और जैसे ही मन्दिर निमार्ण शुरू हुआ। पहले दिन उनकी पत्नी, दूसरे दिन बेटा – नाती तथा तीसरे दिन बहु मौत हो गई। लेकिन अयोध्या प्रसाद द्वारा मन्दिर निमार्ण बन्द नहीं किया गया और अपने संकल्प को पूरा करा दिया बाद में खुद ही एक्सपायर हो गए।
अंग्रेजों को भागना पड़ा
इतिहासकार प्रो. बृजेश कुमार ( Historian Prof. Brijesh kumar) ने बताया कि ब्रिटिश शासन काल (British Rule Period) में अंग्रेज मन्दिर के आस – पास के क्षेत्रों को कब्जा करना का प्रयास कर रहे थे। लेकिन अंग्रेज मन्दिर परिसर के पास पहुंचे जैसे ही पहुंचे दैवीय प्रकोप हुआ एसा हुआ कि कुछ लोग वही पर मर गए जिसे देख जो मन्दिर परिसर से बाहर थे वो वहा से भाग गए।
श्रद्धालुओं का जमावड़ा
रोजाना यहां पर श्रद्धालुओं का भारी भीड़ देखने को मिलती है। लेकिन सोमवार और सावन माह में लाखों की संख्या में दूरदराज से शिव दीवाने यहां आते हैं।
लोग बताते हैं कि सच्ची श्रद्धा से मांगी गई हर मुराद यहां पूरी होती है। महाशिवरात्रि में जलाभिषेक के लिए यहां पर भक्तों का ताता लगा रहता है। श्रावण मास में 50 लाख से अधिक शिवभक्त अयोध्या के सरयू नदी (Sarayu river of Ayodhya) से और हरिद्वार के गंगा नदी (Ganges River of Haridwar) से जल लाकर यहां शिवलिंग (Shivalinga) पर चढ़ाते हैं। दो दिन पहले ही यहां पर आकर जलाभिषेक (Anointing) के लिए लाइन लगा का खड़े हो जाते हैं।
निष्कर्ष
भारतीय सरकार में आपका का स्वागत है दोस्तों मन्दिर का इतिहास वैसे तो हजारों साल पुराना है। लेकिन मन्दिर का जीर्णोउद्धार 1928 (Restoration1928) में बस्ती सदर तहसील (Basti Sadar Tehsil) के महसो (Mahaso) गांव के अयोध्या प्रसाद शुक्ल (Ayodhya Prasad Shukla) ने करवाया।
FAQ
Q. बाबा भदेश्वर नाथ मंदिर कहा है?
A. बाबा भदेश्वर नाथ मंदिर उत्तर प्रदेश के बस्ती में स्थित है।
Q. बाबा भदेश्वर नाथ मंदिर किस देवी देवता का मंदिर है?
A. बाबा भदेश्वर नाथ मंदिर भगवान शिव के मंदिर के रूप में जाना जाता है।