श्रीकृष्ण की जन्मभूमि का इतिहास..

श्रीकृष्ण की जन्मभूमि का इतिहास..

यूपी/मथुरा। मथुरा में प्रवेश करते ही आपको श्री राधे राधे व जय श्री कृष्णा की मधुर धुन से पूरा भक्ति में सा प्रतीक होने लगता है। भगवान श्री कृष्ण का जन्म उत्तर प्रदेश की मथुरा में हुआ था। उत्तर प्रदेश जिले के प्रमुख जिले में मथुरा यमुना नदी के तट पर ।

मथुरा का इतिहास।

देश के प्राचीन नगर में से एक सुप्रसिद्ध मथुरा नगर के रूप में जाना जाता है। यहां पर 500 ईसा पूर्व के प्राचीन अवशेष (ancient remains of 500 BC) मिले हैं, जिससे इसकी प्राचीनता सिद्ध (antiquity proven) होती है। पुराने समय में यहां शूरसेन देश की यह राजधानी हुआ करता था। पौराणिक साहित्य (mythological literature) में मथुरा को कई नामों से संबोधित किया गया है।
जैसे- शूरसेन नगरी, मधुरा, मधुपुरी, मधुनगरी आदि। उग्रसेन और कंस (Ugrasena and Kansa) मथुरा शासक थे जिस पर अंधकों के उत्तराधिकारी राज्य (successor state) करते थे।

श्रीकृष्ण जन्मभूमि का इतिहास

श्रीकृष्ण जन्मभूमि का इतिहास : दोस्तों इस पोस्ट के माध्यम से आज हम भगवान श्री कृष्ण की संबंधी कुछ महत्वपूर्ण तथ्य बताने जा रहे हैं गौरतलाप है आप लोग इसे पूरा और सटीक तरीके से पड़ेंगे।

जहां भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था वहा पर पहले कारागार हुआ करता था। इस स्थान पर पहला मंदिर 80-57 ईसा पूर्व (First Temple 80-57 BC) बनाया गया। इस संबंध में महाक्षत्रप सौदास (Mahakshatrapa Saudas) के समय का एक शिलालेख से यह जानकारी मिलती है। इस मंदिर का निर्माण ‘वसु’ नामक व्यक्ति द्वारा मंदिर बनाया था। इसके बहुत काल के बाद ही दूसरा मंदिर सन् 800 में विक्रमादित्य के काल में बनवाया गया था, जबकि बौद्ध और जैन धर्म (Buddhism and Jainism) उन्नति कर रहे थे।

इस विशाल भव्य मंदिर को 1017-18 ई. में महमूद गजनवी (Mahmud Ghaznavi) ने तोड़ दिया था। जिसके बाद में इसे महाराजा विजयपाल देव (Maharaja Vijaypal Dev) के शासन में 1150 ई. में जज्ज नामक (Named Judge): किसी व्यक्ति ने बनवाया। यह मंदिर पहले की अपेक्षा और भी विशाल था, जिसे 16वीं शताब्दी के आरंभ में सिकंदर लोदी ने नष्ट करवा डाला।

ओरछा के शासक राजा वीरसिंह जू देव बुन्देला ने पुन

इस के बाद खंडहर पड़े स्थान पर एक विशाल और पहले की अपेक्षा भव्य मंदिर बनवाया गया। इसके संबंध पीमें कहा जाता है यह इतना भव्य है की आगरा से दिखाई देता था। लेकिन इस पर भी मुस्लिम शासकों ने 1669 ईस्वी (1669 AD) में नष्ट कर इसकी भवन सामग्री से जन्मभूमि के आधे हिस्से पर एक भव्य ईदगाह बनवा दी गई, जो कि आज भी विद्यमान है।

वराह पुराण एवं नारदीय पुराण में मथुरा के 12 जंगल

मधुवन, तालवन, कुमुदवन, काम्यवन, बहुलावन, भद्रवन, खदिरवन, महावन (गोकुल), लौहजंघवन, बिल्व, भांडीरवन एवं वृन्दावन।

साथ ही 24 अन्य उपवन भी यहां पर थे। जोकी आज के वक्त सारे स्थान छोटे-छोटे गांव व कस्बों में बदल गए हैं।

निष्कर्ष

मंदिर का निर्माण ‘वसु’ नामक व्यक्ति द्वारा मंदिर बनाया था। इसके बहुत काल के बाद ही दूसरा मंदिर सन् 800 में विक्रमादित्य के काल में बनवाया गया था, जबकि बौद्ध और जैन धर्म (Buddhism and Jainism) उन्नति कर रहे थे।

FAQ

Q. श्रीकृष्ण की जन्मभूमि कहा है।

A. उत्तर प्रदेश के मथुरा में

Q. श्रीकृष्ण की जन्मभूमि मथुरा के किस नदी के किनारे बसा है

A. यमुना नदी

Q. वराह पुराण एवं नारदीय पुराण में मथुरा के 12 जंगल कोन कोन से है?

A. मधुवन, तालवन, कुमुदवन, काम्यवन, बहुलावन, भद्रवन, खदिरवन, महावन (गोकुल), लौहजंघवन, बिल्व, भांडीरवन एवं वृन्दावन।

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