जानें सोलर सिस्टम लगवाने में कितना आता है खर्च, सरकार द्वारा मिली सब्सिडी के बाद कितनी होगी कीमत…

अक्सर बिजली समस्या एक बड़ी समस्या है। टेक्नोलॉजी के लगातार बढ़ते इस वर्तमान युग में लोग अलग अलग प्रकार की खोज कर रहे। लेकिन बिजली का अपना अलग ही माहौल है।

ऐसी ही एक टेक्नोलॉजी (Technology) है। सोलर पैनल (Solar Panel) को एक बार सेटअप करने के बाद यह कई सालों तक ऊर्जा प्राप्त कर सकते है।

पूरा सोलर सिस्टम में सोलर इनवर्टर, सोलर पैनल, सोलर चार्ज कंट्रोलर और सोलर बैटरी।

जैसे – मेजर कॉम्पोनेन्ट शामिल हैं। इनके अलावा, सिस्टम की स्टेबिलिटी और सुरक्षा को बढ़ाने के लिए अन्य कई चीजों को भी एइंटीग्रेट (AIntegrate) किया जाता है। सोलर पैनल और सोलर इनवर्टर (Solar panels and solar inverters) सभी टाइप के सिस्टम के लिए आवश्यक हैं।

सोलर सिस्टम में दो प्रकार के डिवाइड उपयोग

ऑन-ग्रिड सोलर सिस्टम – On-Grid Solar System

इस प्रकार के सिस्टम में बैटरी का उपयोग नहीं किया जाता है। बता दे सोलर पैनलों द्वारा उत्पन्ना हुआ बिजली को नेट मीटर (Net Meter) का उपयोग करके इलेक्ट्रिक ग्रिड (Electric Grid) के साथ शेयर होता है।

इस प्रकार के सोलर सिस्टम के माध्यम से बिजली शेयर की जाती है और अमाउंट को मापता है। इस के माध्यम से सिस्टम बिजली के बिलों को काफी कम कर सकता है। और सरकारी सब्सिडी (Government Subsidies) के लिए भी यूजर को एलिजिबल (Eligible) बनाता है।

ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम – Off-Grid Solar System

अगर हम ऑफ-ग्रिड सोलर सिस्टम की बात करे तो यह सिस्टम अक्सर बिजली कटौती वाले इलाकों के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। सोलर द्वारा जनरेट की गयी बिजली (Electricity) को बैटरी में स्टोर (Store) करता है।

सोलर द्वारा बैटरी में स्टोर की गयी बिजली का उपयोग कर अपनी अवस्कता को पूरा करता हैं। बैटरी की कीमत के कारण ऑफ-ग्रिड सिस्टम (off-grid system) लगाने के लिय थोड़ा पैसा ज्यादा चुकाना पड़ सकता है।

सोलर बैटरी को बिजली को स्टोर करने के लिए ऑफ-ग्रिड सिस्टम का इस्तेमाल किया जाता हैं। जो ट्यूबलर और लिथियम-आयन (Lithium-ion) टाइप की टेक्नोलॉजी में उपलब्ध होता हैं और इनका इस्तेमाल पावर बैकअप (power backup) की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए होता है।

अगर आप एक सोलर सिस्टम में पैनल स्टैंड, ACDB और DCDB बॉक्स, DC और AC वायर, MC4 कनेक्टर, लाइटनिंग अरेस्टर, वायर थिम्बल और इंस्टॉलेशन और मेंटेनेंस के लिए कई इक्विपमेंट शामिल हैं। मेंटेनेंस और सेफ्टी के लिए एनुअल मेंटेनेंस कॉन्ट्रैक्ट (AMC) का ऑप्शन चुनना सही माना जाता है।

जिसकी शुरुआती कॉस्ट लगभग 1,500 – 2,000 ₹ और एनुअल कॉस्ट ₹10,000 तक होती है।

यह रेगुलर क्लीनिंग और मेन्टेन्स ऑफर (Maintenance offer) करते हैं, जिससे पैनल की फंक्शनिंग और एफिशिएंसी (Functioning & Efficiency) बनी रहती है।

FAQ

Q. 1 किलोवाट सोलर प्लांट लगाने में कितना खर्च आता है?

A. सामान्य तौर पर 1 किलो वाट सोलर पैनल सिस्टम लगाने पर ₹40000 तक का खर्चा आता है।

Q. 500 वाट के सोलर पैनल की कीमत कितनी है?

A. Loom Solar Panel–Shark 440, Mono Perc Half Cut 15,000 रुपये

Q. घर चलाने के लिए कितने KW की जरूरत होती है?

A. भारत में एक घर में प्रतिदिन 29.5 किलोवाट घंटा बिजली की खपत होती है।

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