संगम की रेती पर बसा अध्यात्म का नगर, लाखों को रोजगार

By Arun Kumar

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ज्ञानेन्द्र सिंह

प्रयागराज। भव्य व नव्य महाकुंभ के लिए पावन संगम की रेती पर तंबुओं का स्थायी शहर सज गया है। सोमवार को पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व से महाकुंभ का श्रीगणेश हो रहा है। अगले दिन अमृत स्नान पर्व मकर संक्रांति है। मात्र ढाई माह में बसाए गए इस अस्थायी शहर की आबादी इस समय ही लगभग दो करोड़ तक पहुंच गई है, जिसमें 30 लाख के करीब कल्पवासी ही हैं।

एक करोड़ से ज्यादा संत-महात्मा

इसके अलावा एक करोड़ से ज्यादा संत-महात्मा आ चुके हैं।प्रदेश के 72 जिलों से आई पुलिस, 12 जनपदों से आए पीएसी जवानों, आठ राज्यों से 38 कंपनियों के अर्धसैनिक बलों के जवान, 65 जिलों से आए होमगार्ड व पीआरडी जवानों समेत नौ राज्यों से चार लाख श्रमिक भी हैं। इस महाकुंभ नगर को बसाने में छह राज्यों उप्र, मप्र, बिहार, गुजरात, पंजाब व हरियाणा से दो करोड़ टन बल्ली, उप्र, बिहार के साथ पूर्वोत्तर के राज्यों से 165 लाख टन बांस, तीन राज्यों केरल, तमिलनाडु व उड़ीसा से 15 लाख टन रस्सी व रस्सा, आठ शहरों कानपुर, मेरठ, गाजियाबाद, आगरा, मुरादाबाद, बुलंदशहर, अलीगढ़, नोएडा से 10 लाख टन कील, नौ शहरों बरेली, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, मुरादाबाद, अमरोहा, बुलंदशहर, रामपुर, बिजनौर व उत्तराखंड के रुद्रपुर से प्लाई व मैट इस महाकुंभ नगर में खप चुका है। छह राज्यों उप्र, मप्र, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब से 24 टेंट कंपनियों ने तीन लाख 60 हजार टेंट, तंबू व कनात लगाए हैं। इसमें महाराजा, दरबारी, स्विस काटेज, ईपी टेंट, फेमिली टेंट व छोलदारी तक शामिल है। प्लाई रूम भी इस बार काफी बने हैं। वहीं 75 जर्मन हैंगर लगे हैं। उप्र के 33 जिलों के सात ही मध्य प्रदेश, बिहार, बंगाल व उड़ीसा तक से पुआल (पराली) मंगाया गया है।

आसपास के 16 जिलों से ईंटे मंगाई

प्रयागराज समेत आसपास के 16 जिलों से ईंटे मंगाई गई हैं। कुर्सी, मेज, बेड, बिस्तर, रजाई कंबल भी कई शहरों से आया है। प्रसाधन के सामान सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, चंदन यहां शुभ मानकर खरीदा जाता है, इसलिए कई राज्यों से ये सामान भी आ गए हैं। जनेऊ भी भारी मात्रा में आया है। मेला में लोहे व स्टील के बर्तनों के साथ ही कपड़े की भी दुकानें लग गई हैं।

सब्जी से लेकर खाद्यान्न तक का वढ़ा उठान विश्व के सबसे बड़े जन समागम में सब्जी से लेकर खाद्यान्न तक का उठान काफी बढ़ गया है। वैसे तो मेला प्रशासन की ओर से राशन की दुकानें खोली गई हैं मगर काफी लोग बाजार से भी खाद्यान्न ले रहे हैं।

आटा, दाल और चावल से लेकर अन्य खाद्यान्न की बिक्री के लिए कई ब्रांडेड कंपनियां उतर चुकी हैं। कई शहरों से नाविक तो ई-रिक्शा और आटो वाले आ चुके हैं।

Arun Kumar

Arun Kumar is a senior editor and writer at www.bhartiyasarokar.com. With over 4 years of experience, he is adept at crafting insightful articles on education, government schemes, employment opportunities and current affairs.

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