असलपुर में पांच सौ वर्ष से चतर्मुखी शिवलिंग आस्था का केंद्र

चिरैयाकोट, मऊ। जिले के थाना क्षेत्र अन्तर्गत ग्राम असलपुर में लगभग 500 बर्ष पुरानी शिव मंदीर (शिवालय) श्रद्धालुओं में आस्था का केन्द्र बना हुआ है। जिसमें विराजमान चतुर्मुखी शिवलिंग के दर्शन पूजन के लिए प्रति दिन श्रद्धालुओं का आवागमन लगा रहता है।

खासकर श्रावण मास मे भगवान शिव के दर्शन-पूजन के लिए श्रद्धालुओं की काफी भीड़ लगती है।

मान्यता है कि चतुर्मुखी शिवलिंग के दर्शन-पूजन और जलाभिषेक से भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है।चिरैयाकोट थाना से लगभग 05 किलोमीटर पूर्वोत्तर दिशा में स्थित ग्राम असलपुर में लाहौरिया ईट से निर्मित लगभग 500 वर्ष पुराने शिव मंदिर के सम्बंध में गांव निवासी श्रीराम सिंह ने बताया कि शिवालय का निर्माण उनके पूर्व सातवीं पीढी में बंसज के गुलजार सिंह द्वारा कराया गया था। मंदिर पुरानी व जार्जर होने पर लगभग 22 वर्ष पूर्व श्रीराम सिंह ने स्वयं शिवालय का जीर्णोद्धार कराया। जिसके बाद करीब सात बर्ष पुर्व ग्राम वासियों कि सहयोग से शिवालय का बारामण्डा आदि निर्माण करवाया गया।

शिवरात्रि पर्व के अवसर पर जहां मेला और दंगल का आयोजन होता चला आ रहा है। वहीं शिवरात्रि के रात भगवान शिव जी और माता पार्वती के विवाह का भी कार्यक्रम होता है।

इसके साथ ही शिवालय प्रागंण में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व भी हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। जो सात दिनों तक लगातार चलता है। जिसके चलते आज भी शिवालय लोगों में आस्था का महत्वपूर्ण केन्द्र बना हुआ है। जहां श्रावण मास में कावरियों द्वारा जलाभिषेक भी किया जाता है।

ऐसे करें शिव को प्रसन्न

श्रावण मास में आने वाले सोमवार के दिनों में भगवान शिवजी का व्रत करना चाहिए और व्रत करने के बाद भगवान श्री गणेश जी भगवान शिवजी, माता पार्वती व नन्दी देव की पूजा करनी चाहिए। पूजन सामग्री में जल, दूध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृत, मोली, वस्त्र, जनेऊ, चन्दन, रोली, चावल, फूल, बेल-पत्र, भाग, आक-धतूरा, कमल गट्ठा, प्रसाद, पान-सुपारी, लौंग, इलायची, मेवा, दक्षिणा चढाया जाता है। इस दिन धूप दीया जलाकर कपूर से आरती करनी चाहिए। व्रत के दिन पूजा करने के बाद एक बार भोजन करना चाहिए और श्रावण मास में इस माह की विशेषता का श्रवण करना चाहिए।

श्रावण मास शिव उपासना महत्व

भगवान शिव को श्रावण मास सबसे अधिक प्रिय है। इस माह में प्रत्येक सोमवार के दिन भगवानश्री शिव की पूजा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। इस मास में भक्त भगवान शकर का पूजन व अभिषेक करते है। सभी देवों में भगवान शकर के विषय में यह मान्यता प्रसिद्ध है, कि भगवान भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होते है। एक छोटे से बिल्वपत्र को चढ़ाने मात्र से तीन जन्मों के पाप नष्ट होते है।श्रावण मास के विषय में प्रसिद्ध एक पौराणिक मान्यता के अनुसार श्रावण मास के सोमवार व्रत,एक प्रदोष व्रत तथा और शिवरात्री का व्रत जो व्यक्ति करता है, उसकी कोई कामना अधूरी नहींरहती है। 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन के समान यह व्रत फल देता है।

इस व्रत का पालन कई उद्देश्यों से किया जा सकता है। महिलाएं श्रावण के 16 सोमवार के व्रतअपने वैवाहिक जीवन की लंबी आयु और संतान की सुख-समृद्धि के लिये करती है, तो यहअविवाहित कन्याएं इस व्रत को पूर्ण श्रद्वा से कर मनोवांछित वर की प्राप्ति करती है। सावन के 16 सोमवार के व्रत कुल वृद्धि, लक्ष्मी प्राप्ति और सुख-सम्मान के लिये किया जाता है।

शिव पूजन में बेलपत्र प्रयोग करना

भगवान शिव की पूजा जब बेलपत्र से की जाती है, तो भगवान अपने भक्त की कामना बिना कहे ही पूरी करते है. बिल्व पत्र के बारे में यह मान्यता प्रसिद्ध है, कि बेल के पेड़ को जो भक्त पानी या गंगाजल से सींचता है, उसे समस्त तीथरें की प्राप्ति होती है। वह भक्त इस लोक में सुख भोगकर, शिवलोक में प्रस्थान करता है। बिल्व पत्थर की जड़ में भगवान शिव का वास माना गया है। यह पूजन व्यक्ति को सभी तीथों में स्नान करने का फल देता है।

सावन माह व्रत विधि

सावन के व्रत करने से व्यक्ति को सभी तीथों के दर्शन करने से अधिक पुन्य फल प्राप्त होते है। जिस व्यक्ति को यह व्रत करना हो, व्रत के दिन प्रात काल में शीघ्र सूर्योदय से पहले उठना चाहिए। श्रावण मास में केवल भगवान श्री शकर की ही पूजा नहीं की जाती है, बल्कि भगवान शिव की परिवार सहित पूजा करनी चाहिए। सावन सोमवार व्रत सूर्योदय से शुरु होकर सूर्यास्त तक किया जाता है। व्रत के दिन सोमवार व्रत कथा सुननी चाहिए। तथा व्रत करने वाले व्यक्ति को दिन में सूर्यास्त के बाद एक बार भोजन करना चाहिए।प्रातकाल में उठने के बाद स्नान और नित्यक्त्रियाओं से निवृत होना चाहिए। इसके बाद सारे घर की सफाई कर, पूरे घर में गंगा जल या शुद्ध जल छिड़कर, घर को शुद्ध करना चाहिए। इसके बाद घर के ईशान कोण दिशा में भगवान शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित करना चाहिए। मूर्ति स्थापना के बाद सावन मास व्रत संकल्प लेना चाहिए।

निष्कर्ष

असलपुर में पांच सौ वर्ष से चतर्मुखी शिवलिंग आस्था का केंद्र बना हुआ है यह मंदिर भगवान शिव का मंदिर है इस मंदिर की मान्यता जो भी सच्चे मन से ईश्वर का प्रार्थना करता है तो उसकी मनोकामना निश्चित रूप से पूर्ण होती है।

FAQ

Q. असलपुर मंदिर कहा है?

A. उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के ग्राम असलपुर में स्थित है।

Q.असलपुर मंदिर कितना कब का है?

A.लगभग 500 बर्ष पुरानी शिव शिव मंदिर है।

Q. असलपुर किस देवी देवता को समर्पित है?

A. भगवन शिव

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