Arun Kumar
Arun Kumar is a senior editor and writer at www.bhartiyasarokar.com. With over 4 years of experience, he is adept at crafting insightful articles on education, government schemes, employment opportunities and current affairs.
Prem Mandir Vrindavan: वृंदावन के प्रेम मंदिर का इतिहास और विश्व प्रसिद्ध मंदिरों में इस की आखिर क्यों मान्यता..
Prem Mandir Bhavya aakarshit mandiron mein se ek hai yahan per Desh ke ke अलग-अलग hisson ke साथ-साथ Puri duniya se log yahan aate Hain aur Darshan karte Hain
श्रीकृष्ण की जन्मभूमि का इतिहास..
श्रीकृष्ण की जन्मभूमि का इतिहास.. यूपी/मथुरा। मथुरा में प्रवेश करते ही आपको श्री राधे राधे व जय श्री कृष्णा की मधुर धुन से पूरा ...
ऐलिया मरही माता मंदिर का इतिहास..
यहाँ दर्शन मात्र से पूरी होती है मनोकामना बस्ती। ऐलिया मरही माता मंदिर की ख्याति चारो तरफ फैली हुई है। श्रद्धलुओं का मानना ही ...
तिलकपुर जागेश्वरनाथ शिव मंदिर का इतिहास..
History of Jageshwarnath Shiv Temple of Tilakpur..This temple has been very popular since a long time. The proof of the popularity
प्रयागराज के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी..
शहीदों में अहियापुर के रहने वाले रमेश मालवीय सबसे कम उम्र के थे। सीएवी स्कूल के 9वीं के छात्र रमेश की उम्र महज 13 साल की थी जब वह शहीद हो गए। पिता भानु वैद्य ने बेटे के लिए तमाम सपने संजोए थे। बुढ़ापे का सहारा समझा था। लेकिन फिरंगियों से वतन को आजाद कराने की तमन्ना किशोर रमेश की आंखों में चमक रही थी। इस बीच 12 अगस्त, 1942 को चौक में क्रांतिकारियों ने जुलूस निकाला। उसमें बलूच रेजीमेंट के नायक को रमेश ने पत्थर मार दिया। नायक ने रमेश की आंख में गोली मार दी और वह शहीद हो गए। इसी तरह सीएवी के छात्र त्रिलोकीनाथ कपूर भी शहीद हो गए। 13 अप्रैल, 1932 को शहर में एक जुलूस निकला जो कमला नेहरू रोड और हीवेट रोड के चौराहे पर पहुंचा। वहां अंग्रेज सिपाहियों ने रास्ता रोक दिया। अंग्रेज मजिस्ट्रेट ने कहा कि जुलूस लेकर चले जाओ नहीं तो गोली चला देंगे। उस जुलूस में 17 साल के छात्र त्रिलोकीनाथ कपूर भी शामिल थे। जुलूस के दमन के लिए गोली चलाने का आदेश दे दिया। उस समय त्रिलोकीनाथ ने सीना तानकर कहा कि मुझे गोली मार दो। अंग्रेजों की गोली से वीर छात्र ने प्राणोत्सर्ग कर दिया।