अनिल कुमार श्रीवास्तव का जीवन एवं पत्रकारिता में सफर

अनिल कुमार श्रीवास्तव का जन्म सिद्वार्थनगर जिले के भानपुररानी गांव मे 1 अप्रैल 19 सौ 55 को हुआ था। इनके पिता स्व0 जंगबहादुर लाल एंव माता स्व0 कामनी देवी बड़े जमींनदार थे।उनकी शिक्षा दीक्षा भानपुर मसजिदिया के विद्यालय मे हुई मिडिल की पढ़ाई पूरा करने के बाद वे बस्ती जिला मुख्यायल पर आ गये और पढ़ाई के समय से ही 17 वर्ष की उम्र मे 1972 सेपत्रकारिता के क्षेत्र में आ गये।

नामअनिल कुमार श्रीवास्तव
जन्म1 अप्रैल 1955
जन्म स्थान भानपुररानी, सिद्वार्थनगर (उत्तर प्रदेश)
पिता का नाम स्व. जंगबहादुर लाल
माता का नामस्व. कामनी देवी
सम्पादकविचारपरक, नवबस्ती, सर्वोपरि
मृत्यु18 सितम्बर 2020
योगदानपत्रकारिता, पर्यावरण क्षेत्र मे

इनके पिता स्व0 जंगबहादुर लाल एंव माता स्व0 कामनी देवी बड़े जमींनदार थे।उनकी शिक्षा दीक्षा भानपुर मसजिदिया के विद्यालय मे हुई मिडिल की पढ़ाई पूरा करने के बाद वे बस्ती जिला मुख्यायल पर आ गये और पढ़ाई के समय से ही 17 वर्ष की उम्र मे 1972 सेपत्रकारिता के क्षेत्र में आ गये। 1974 में लोकनायक जय प्रकाश के आन्दोलन में जब हम लोग संघर्ष कर रहे थे उस समय अनिल कुमार श्रीवास्तव ने नवजीवन नेशनल हेरल्ड और कौमी आवाजजैसे अच्छे एवं प्रभावी समाचार पत्रों मंे पत्रकारिता करते थे।‘‘नवबस्ती’’ साप्ताहिक इनका एक सफल प्रयास है उसके बाद इनके द्वारा दैनिक तथा साप्ताहिक समाचार पत्र विचारपरक, सर्वोपरि, यथार्थवादी, सिद्वार्थ मीडिया सेन्टर का स्थापना किया गया।

लगभग 20 वर्षों से यू0एन0आई0 यूनीवार्ता के सफल संवाददाता के रूप में कार्यरत रहे। श्रीवास्तव बहुत निष्पक्ष स्पष्टवादी, सहज और सरल व्यक्तित्व के धनी थे। सकारात्मक सोच से समाज में बदलाव की भूमिका में पत्रकारिता जगत में कार्य करते थे। वे अपने ढंग के हरफनमौला पत्रकार ईमानदार, निर्भीक और मृदुभाषी व्यक्ति थे अपने क्षेत्र के कभी विपरीत परिस्थितियों से समझौता न करके निरन्तर समाजहित के लिए पत्रकारिता को जीवन्त बनाने में इनका बड़ा हीसराहनीय योगदान है।आप जानते है कि लोकतंत्र में जहां कार्यपालिका, न्याय पालिका और विधायिका का अलग-अलग दायित्व है, वहीं समाचार पत्रों और मीडिया का भी समाज को बनाने में बड़ाही महत्वपूर्ण योगदान है। श्री अनिल कुमार श्रीवास्तव पत्रकारिता जगत में एक सजग प्रहरी की भांति जागरूक रहते थे। इनमें निरन्तरता था, सजगता था। कलम की बदौलत समाज में होने वाली कुरीतियों, असमानताओंतथा विसंगतियों को उजागर करके एक स्वस्थ समाज बनाने में अपनी अग्रणी भूमिका अदा करने के लिए दैनिक तथा साप्ताहिक समाचार पत्र विचारपरक,सर्वोपरि,यथार्थवादी,सिद्वार्थ मीडिया सेन्टरकी स्थापना किया।इनके द्वारा शिक्षा क्षेत्र में बहुत ही सराहनीय कार्य किया गया है।

पर्यावरण के क्षेत्र में योगदान

इन्होंने बहुत ही कठिन परिश्रम करके बहुत से बच्चो को निःशुल्क शिक्षा दिया और आज वे अच्छे-अच्छे स्थानपर है। श्रीवास्तव ने पर्यावरण के क्षेत्र में जितना कार्य किया है उसे भुलाया नही जा सकता बस्ती,सिद्वार्थनगर तथा संतकबीरनगर, अयोध्या, सीतापुर, आगरा, रायबरेली, कानपुर, लखनऊ समेत अन्यजिलों मे कई वर्षो तक पर्यावरण गोष्ठी के माध्यम से ग्राम वासियों एंव शहर के क्षेत्र मे रहने वाले लोगो को पौध लगाने के लिए प्रेरित किया जिसके लिए वन विभाग द्वारा श्री श्रीवास्तव को कईपुरूस्कारों से पुरूस्किृत भी किया।

इनका जीवन समाज के लिए समर्पित था अपने सिद्वान्तों से कभी समझौता न करने वाले स्व. श्रीवास्तव को कभी भुलाया नही जा सकता। बस्ती मण्डल में कई ऐसे साहित्यकार है जिनको आगे बढ़ाने में श्रीवास्तव की महत्वपूर्ण भूमिका रही अपने निजी संसाधनो से कई कवियों एंव साहित्यकारो के पुस्तको के प्रकाशन मे सहयोग प्रदान किया साहित्यजगत श्रीवास्तव का हमेशा ऋृणी रहेगा।

पत्रकारिता के क्षेत्र मे हमेशा अच्छा मुकाम रखने वाले स्वर्गीय अनिल कुमार श्रीवास्तव से नयी पीढ़ी को सीख लेने की जरूरत है कि किस तरह खबरोंमे पारदर्शिता रखते हुए पत्रकारिता की जाये।श्री श्रीवास्तव ने बस्ती से प्रकाशित प्रकाश टाइम्स बस्ती को नई दिशा दिया और अपने बड़े पुत्र आलोक कुमार श्रीवास्तव को सौंपा जो आज की तारीख मे बड़े अच्छी उंचाई पर है। गरीब छात्रों के जीवन मे रोशनी लाने के लिए रद्दी अखबारो को इकट्ठा करके उन्हें बेच कर उनकी सहायता करने वाले श्रीवास्तव को कभी भुला नही जा सकता।

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