सामाजिक न्याय पर टिप्पणी
सामाजिक न्याय– जब किसी समाज में सभी लोगो को प्रगति के अवसर उपलब्ध हों, लोगो पर अत्याचार न होते हो, उनका शोषण न रखा जाता हो, समाज में समानता व्याप्त हो, गरीब-अमीर के बीच बड़ी खाई न हो, तो यह स्थिति उस समाज में सामाजिक न्याय की उपस्थिति को दर्शाता है।
सामाजिक सुधार आन्दोलनों का उद्देश्य समाज में न्याय की दशा लाना है। भारत में अनेक समाज सुधार आन्दोलन तभी चले जब समाज में किसी वर्ग का शोषण, अन्याय जैसी दशाएं हावी होने लगी। राजा राम मोहन राय ने स्त्रियों की दशा सुधारने एवं उन्हे न्याय दिलाने हेतु ब्रम्ह्य समाज के माध्यम से अनेक सुधार कार्यक्रम चलाये जिसके फलस्वरुप सती प्रथा का अन्त हुआ एवं अनेक अन्य सुधार कार्य हुए। इसी प्रकार स्वामी दयानन्द सरस्वती ने आर्य समाज के माध्यम से, स्वामी विवेकानन्द रामकृष्ण मिशन के माध्यम से समाज में व्याप्त अन्यायपूर्ण दशाओं को समाप्त करके सामाजिक न्याय की दशा स्थापित करने के प्रयत्न किये है। इसके अतिरिक्त दलित आन्दोलन, महिला आन्दोलन, जनजातिय आन्दोलन समाज में समानता, शोषण से मुक्ति आदि के लिये चलाये गये।