इरावती कर्वे का जीवन परिचय, सिद्धांत एवं लेख..

इरावती कर्वे का जीवन परिचय,(Biography of Irawati Karve )

इरावती कर्वे का जन्म महाराष्ट्र के ब्राह्मण परिवार में हुआ था। ये डॉक्टर जी एस घुरिये की शिष्या थीं। कर्वे वर्ष 1939 में पुणे के दक्कन कॉलेज में समाजशास्त्र विभाग की अध्यक्ष बनीं तथा इसी वर्ष भारतीय विज्ञान कांग्रेस के मानवशास्त्र विभाग की अध्यक्ष बनीं।

कर्वे के अध्ययन का मुख्य विषय भारत की जनसंख्या में प्रजातीय तत्त्व, जाति की उत्पत्ति, ग्रामीण एवं नगरीय समुदाय का अध्ययन, नातेदारी व्यवस्था तथा पश्चिम भारत की प्रादेशिक संस्कृति की विशेषताएँ रही हैं।

इरावती कर्वे का समाजशास्त्रीय सिद्धान्त

इरावती कर्वे ने जाति व्यवस्था को परिभाषित करते हुए लिखा है कि जातिएक विस्तृत नातेदारी समूह है तथा एक विस्तृत परिवार है। इसकी दोमहत्त्वपूर्ण विशेषताएँ हैं- पहली अन्तर्विवाही समूह तथा दूसरी जाति का एकपुश्तैनी व्यवसाय है। इरावती कर्वे की दूसरी पुस्तक ‘हिन्दू समाज 1961’ मेंभारतीय जाति व्यवस्था का वर्णन किया गया है।

कर्वे की सबसे महत्त्वपूर्ण पुस्तक भारत में नातेदारी संगठन 1953 में भारत को चार प्रमुख क्षेत्रों में बाँटकर उनकी नातेदारी व्यवस्था का तुलनात्मक अध्ययन किया गया।

इरावती कर्वे ने मानवमिति माप विधि का प्रयोग किया। इस विधि में उन्होंने सामाजिक समूह के आधार पर उनकी उत्पत्ति का पता लगाने का प्रयास’ किया। इरावती कर्वे भारत में नातेदारी व्यवस्था के समाजशास्त्रीय एवं मानवशास्त्रीय अध्ययन की अग्रणी समाजशास्त्री रही हैं।

इरावती कर्वे का नातेदारी व्यवस्था का सिद्धान्त – Irawati Karve’s theory of kinship system.

सम्पूर्ण भारत की नातेदारी का व्यवस्थित उल्लेख करने का श्रेय श्रीमति इरावती कर्वे को है। उन्होंने अपनी पुस्तक ‘भारत में बन्धुत्व संगठन’ में नातेदारी का उल्लेख भौगोलिक एवं भाषायी दृष्टि से विस्तारपूर्वक किया है। इरावर्ती कर्वे ने भौगोलिक क्षेत्र के आधार पर सम्पूर्ण भारत की बन्धुत्व व्यवस्था को चार और भाषायी आधार पर तीन भागों में विभाजित किया है, जो निम्नलिखित हैं

भौगोलिक आधार

  • उत्तरी क्षेत्र हिमालय से विन्ध्याचल तक, सिन्धु, पंजाब, कश्मीर, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, असम, नेपाल ।
  • मध्य क्षेत्र राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा (उड़ीसा), गुजरात, महाराष्ट्रआदि।
  • दक्षिणी क्षेत्र कर्नाटक, मालाबार, तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश, तमिलनाडु,केरल, पश्चिमी ओडिशा व दक्षिणी बिहार।
  • पूर्वी क्षेत्र म्यांमार, तिब्बत, असम तथा पूर्व पहाड़ी क्षेत्र ।

भाषायी आधार

  • भारोपीय परिवार पंजाबी, सिन्धी, बिहारी, हिन्दी, बंगाली, असमी, राजस्थानी, गुजराती, मराठी, उड़िया एवं कोंकणी ।
  • द्रविड़ परिवार तेलुगू, कन्नड़, तमिल, मलयालम, तेलुगू, टोडा, कोडागू,कोलायी, गोष्टी ।
  • आग्नेय एशियाटिक परिवार मुण्डी, सओरा, सन्थाली, खासी, गडबा, भूमिया, ज्यांग, बोडो आदि।

इरावती कर्वे की प्रमुख कृतियाँ

  • युगान्त, 1969
  • किनशिप ऑर्गेनाइजेशन इन इण्डिया, 1968

निष्कर्ष

भारतीय सरोकार में आपका स्वागत है दोस्तों इस पोस्ट के माध्यम से आप सभी को इरावती कर्वे से संबंधित महत्वपूर्ण कृतियां उनके सिद्धांत तथा विचार से संबंधित पूरी जानकारी आप तक पहुंचाई गई है।

FAQ

Q. इरावती कर्वे का जन्म कब हुआ था?

A. इरावती कर्वे का जन्म 15 दिसंबर 1905 हुआ था

Q. इरावती कर्वे के अनुसंधान हित किन क्षेत्रों में केंद्रित थे?

A. भारत में रिश्तेदारी संगठन; जाति की उत्पत्ति; और ग्रामीण और शहरी समुदायों का समाजशास्त्रीय अध्ययन।

Q. इरावती कर्वे के अध्ययन का मुख्य विषय क्या था?

A. इसके बाद उन्होंने बॉम्बे यूनिवर्सिटी में जीएस घुर्ये के तहत समाजशास्त्र का अध्ययन करने के लिए दक्षिणा फेलोशिप प्राप्त की।

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