कानून और रीति-रिवाज परिभाषा विभिन्नता एवं विशेषताएं – Law and Customs
किसी भी समाज को संचालित करने के लिए कानून एवं रीति-रिवाज की विशेष भूमिका होती है। कानून के निर्माण में रीति-रिवाज अधिकांशतया विशेष भूमिका निभाता है व कहीं-कहीं वर्तमान में अप्रासंगिक रिवाज को समाप्त करके कानून का निर्माण किया जाता है; जैसे-लड़कियों को पिता की सम्पत्ति में मालिकाना अधिकार आदि।
- लोकरीतियाँ, प्रथाएँ और रूढ़ियाँ कुछ ऐसे सामाजिक प्रतिमान हैं, जिनका पालन मानव समाज में नियन्त्रण एवं व्यवस्था बनाने के लिए किया जाता है।
- बीरस्टीड समाज स्वयं एक व्यवस्था है, जिसका अस्तित्व सामाजिक प्रतिमानों से ही सम्भव हो पाता है, इस प्रकार सामाजिक प्रतिमान ही सामाजिक संगठन का निचोड़ है।
- लोकरीतियों का प्रयोग सर्वप्रथम वर्ष 1906 में अमेरिका के प्रोफेसर ग्राहम समनर ने अपने पुस्तक फोकवेज (Folkways) में किया था।
- हमारे अधिकांश दैनिक व्यवहार रीति-रिवाजों से प्रभावित होता है। लोकरीतियाँ अपेक्षाकृत स्थायी व्यवहार है, जिनका पालन एक परिस्थिति में आवश्यक माना जाता है। लोकरीतियों का पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तान्तरण एक प्रथा का रूप ले लेता है।
- रीति-रिवाज/लोकरीतियाँ मानव की किसी-न-किसी आवश्यकता की पूर्ति अवश्य करती हैं, इसलिए आवश्यकताओं में परिवर्तन होने पर इनमें भी परिवर्तन होता रहता है। जनरीतियों में केवल ऊपरी सतह में ही परिवर्तन होते रहते हैं फिर भी मानव दर्शन, धर्म, आचार-शास्त्र और अन्य प्रकार के बौद्धिक चिन्तन से लोकरीतियों में संशोधन (बदलाव) होते रहते हैं।
विभिन्न विद्वानों की परिभाषाएँ
मैकाइवर व पेज के अनुसार, “जनरीतियाँ समाज में मान्यता प्राप्त अथवा स्वीकृत व्यवहार की प्रणालियाँ हैं।”
गिलिन व गिलिन के अनुसार, “लोकरीतियाँ दैनिक जीवन के व्यवहार के वे प्रतिमान हैं, जो अनियोजित अथवा बिना किसी तार्किक विचार के ही सामान्यतः समूह में अचेतन रूप में उत्पन्न हो जाते हैं।”
ग्रीन के अनुसार, “लोकरीतियाँ कार्य करने की वे विधियाँ हैं, जो एक समाज या समूह में समान रूप में पाई जाती हैं तथा जो एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को हस्तान्तरित होती रहती हैं।”
रीति-रिवाज या लोकरीतियों की विशेषताएँ
रीति-रिवाज/लोकरीतियों की निम्न विशेषताएँ हैं
- यह समाज में व्यवहार करने की स्वीकृत तथा मान्यता प्राप्त विधियाँ हैं।
- हम अनजाने में इनका पालन करते हैं।
- लोकरीतियों का जन्म स्वतः होता है।
- लोकरीतियाँ मानवोपयोगी होती हैं।
- लोकरीतियाँ मानव व्यवहार पर नियन्त्रण रखती हैं।
- लोकरीतियाँ अलिखित होती हैं। अतः होती हैं। ये कानून की भाँति स्पष्ट नहीं होती है।
- प्रत्येक समाज की लोकरीतियों में कुछ भिन्नताएँ पाई जाती हैं।
लोकरीतियों का महत्त्व
लोकरीतियों का हमारे जीवन में विशेष महत्त्व है। वह हमें सामाजिक सांस्कृतिक वातावरण में रहने की कला सिखाती हैं। वे हमारे मस्तिष्क को स्वतन्त्र करके हमारी कार्यक्षमता को बढ़ाती हैं। लोकरीतियों के उल्लंघन करने पर व्यक्ति अपने को सामाजिक सम्पर्क से अलग पाता है अर्थात् उसके साथ प्रतिक्रियाएँ की जाती हैं।