मुस्लिम तलाक के प्रकार (Types of Muslim Talaq)
इस्लाम में केवल पुरुष को ही तलाक का अधिकार प्राप्त है, जो कभी भी बिना कारण बताए तलाक दे सकता है। कम-से-कम दो साक्षियों के सामने तलाक शब्द का तीन बार उच्चारण करके तलाक लिया जा सकता है। इसके सात प्रकार प्रचलन में है “मुसलमानों में तलाक अदालत एवं बिना अदालत के तथा लिखित एवं मौखिक दोनों तरीकों से हो सकता है।”
1. मौखिक तलाक इसके तीन प्रकार है
(i) तलाक-ए-अहसन यदि तुहर (मासिक धर्म) के समय एक बार तलाक की घोषणा पुरुष द्वारा की जाती है और उसके बाद इदत की अवधि तक पत्नी से यौन सम्बन्ध स्थापित नहीं किया जाता, तो ऐसी स्थिति में इसे तलाक मान लिया जाता है। इदत चार महीने के तीन मासिक धर्मका समय है।
(ii) तलाक-ए-हसन इसमें पति तीन तुहरों के बीच के समय में तीन बार तलाक शब्द कहता है। इसके बाद वह पत्नी से सहवास नहीं करता है। इदत की अवधि के बाद तलाक मान लिया जाता है।
(iii) तलाक-उल-विद्दत इसमें पति किसी भी मासिक धर्म के अवसर पर थोड़े-थोड़े समय के बाद तलाक को तीन बार घोषणा करता है। इसके बाद इदत की अवधि समाप्त होने पर तलाक मान लिया जाता है।
2. इला यह तलाक का एक प्रथागत स्वरूप है, जब पति कसम खाकर चार महीने या इससे अधिक समय तक पत्नी के साथ किसी प्रकार का वैवाहिक सम्बन्ध नहीं रखता है। यदि वह ऐसा करता है, तो तलाक हो जाता है।
3. खुला इसमे पत्नी, पति से तलाक के लिए प्रार्थना करती है।
4. मुबारत या मुबरंत अगर पति-पत्नी आपसी रजामन्दी से अलग होते हैं, उसेमुबारत कहा जाता है।
5. जिहर जब पति अपनी पत्नी की तुलना ऐसे सम्बन्धी से करे जिससे विवाह निषेध है; जैसे-माँ, बहन आदि।
6. लियान जब पति, पत्नी पर व्यभिचार का आरोप लगाता है।
7. तलाक-उल-तफबीज यह भी पति-पत्नी की रजामन्दी से होने वाला तलाक है।