700 से ज्यादा फाग गीतों को रचकर अमर हो गए कवि रंगपाल

By Arun Kumar

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20 फरवरी को मनाई जाएगी रंगपाल की जयंती, हरिहरपुर में हुआ था जन्म

हरिहरपुर। विलुप्त होती गंवई परंपराओं के बीच नगर पंचायत हरिहरपुर में फाग के राग आज भी सुनाई देते हैं। क्योंकि इसी माटी में फाग कवि रंगपाल का जन्म हुआ था।

20 फरवरी को हर साल की भांति इस वर्ष भी नगर पंचायत हरिहरपुर में कवि रंगपाल की जयंती मनाई जाएगी। इस दौरान मौजूद लोक गायक कवि की फाग रचनाओं को ढोल, नगाड़े की थाप पर लय और ताल में पिरोएंगे।

20 फरवरी 1864 को हरिहरपुर में व्रजभाषा के काव्य रचनाकार कवि रंगपाल का जन्म हुआ था। स्कूल की शिक्षा से दूर होते हुए भी उन्होंने अवधी और ब्रजभाषा में करीब साढ़े सात सौ फाग गीतों की रचना की है। कवि रंगपाल की माता सुशीला देवी संस्कृत और हिंदी की कवयित्री थीं।अपनी माता के सानिध्य की वजह से ही कवि रंगपाल को साहित्य और संगीत की गहरी समझ थी। उनके फाग गीतों में श्रृंगार, सौंदर्य, वियोग और मिलन का बहुत ही मनोरम वर्णन हैं।

आश्रयदाता कवि होने के नाते उनके घर दूर – दराज से कवियों के आने-जाने का सिलसिला लगा रहता था। उनकी फाग रचनाओं में “औरन संग रैन बिताते हो बालम, भोर भए घर आते”। ऋतुपति गए आय-हाय गुंजन लागे भंवरा’ जैसे फाग गीत फागुन माह में आज भी लोग गुनगुनाते हैं।

कवि की रचनाओं में देश के सपूतों की वीरगाथा

हरिहरपुर। नगर पंचायत हरिहरपुर निवासी सेवानिवृत शिक्षक भगवान दास बताते हैं कि कवि की रचनाओं में फाग गीतों को ही अधिक प्रसिद्धि मिली है लेकिन उनकी रचनाओं में देश के वीरों की बीरगाथा भी समाहित है। उन्होंने “वीर वीरेश संग्रह” में महाराणा प्रताप, छत्रशाल, महारानी पद्मावती की वीरता का बड़ा ही ओजस्वी वर्णन किया है। कवि का पशु पक्षियों से बहुत ही गहरा लगाव था। उन्होंने अपने पालतू कुत्ते की याद में “मित्तू विरह” नामक एक संग्रह लिख डाला था। उनकी रचना खगनामा पक्षियों प्रति उनके प्रेम को दर्शाती है।

भारतेंदु जी ने दी थी महाकवि की उपाधि

हरिहरपुर। पाल सेवा संस्थान के अध्यक्ष बृजेश पाल ने बताया कि कवि रंगपाल भारतेंदु युग के कवि थे। इस बात का प्रमाण कवि की रचनाओं में भी मिलता है। भारतेंदु जी ने कवि को रचनाओं के लिए उन्हें महाकवि की उपाधि से नवाजा था। उनकी रचनाओं में अंगादर्श, रसिकानंद, सज्जनानंद, प्रेम लतिका, शांत रसार्णव, रंग उमंग, गीत सुधानिधि, रंग महोदधि, ऋतु रहस्य, नीति चंद्रिका, फूलनामा, छत्रपति शिवाजी, वीर विरुद, गो दुर्दशा, दोहावली, दर्पण आदि प्रमुख हैं।

Arun Kumar

Arun Kumar is a senior editor and writer at www.bhartiyasarokar.com. With over 4 years of experience, he is adept at crafting insightful articles on education, government schemes, employment opportunities and current affairs.

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