फसलों के अवशेष न जलाएं बल्कि लाभ उठाएंपौधों के बढ़वार हेतु 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, जिसमें कार्बन, हाइड्रोजन, आक्सीजन प्रकृति से प्राप्त होता है ये तत्व पौधों के लगभग 95 प्रतिशत भाग के निर्माण में सहायक हैं।
उक्त के अतिरिक्त नत्रजन, फास्फोरस, पोटाश, कैल्शियम, मैग्नीशियम, सल्फर तथा सूक्ष्म पोषक तत्व के रूप में लोहा, जिंक, आयरन, बोरान, मॉलिब्डेनम, कॉपर, क्लोरीन तत्व पौधों के बढ़वार एवं उत्पादन में सहायक होते हैं।
उक्त से स्पष्ट है कि पौधों के विभिन्न भागों (जड़, तना, फूल, फल, दाना आदि) के बढ़ने हेतु उक्त पोषक तत्व पौधों की जड़ों, पत्तियों तथा तनों द्वारा मृदा से अथवा वातावरण से ग्रहण करते हैं। जब किसान भाई खरीफ, रबी, जायद की फसलों की कटाई, मड़ाई करते हैं तो जड़, तना, पत्तियों के रूप में पादप अवशेष भूमि के अन्दर एवं भूमि के ऊपर उपलब्ध होते हैं। इनको यदि लगभग 20 किग्रा. यूरिया प्रति एकड़ की दर से मिट्टी पलटने वाले हल से / रोटावेटर से जुताई/पलेवा के समय मिला देने से पादप अवशेष लगभग बीस से तीस दिन के भीतर जमीन में सड़ जाते हैं जिससे मृदा में कार्बनिक पदार्थों एवं अन्य तत्वों की बढ़ोत्तरी होती है। फलस्वरूप फसलों के उत्पादन पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है। एक बोतल वेस्ट डिकम्पोजर को 200 लीटर पानी एवं 2 किग्रा. गुड़ में मिलाकर घोल बनायें। इस घोल का प्रयोग एक सप्ताह बाद फसल अवशेषों पर 1:3 के अनुपातन में पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करें। वेस्ट डिकम्पोजर साल्यूशन का छिड़काव करने से फसल अवशेष की कम्पोस्टिंग हो जाती है।
फसल अवशेष प्रवन्धन में प्रयोग होने वाले कृषि यंत्रः
1. सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम
2. हैप्पीसीडर
3. सुपर सीडर
4. जीरो टिल सीड कम फर्टीलाइजर ड्रिल
5. श्रब मास्टर
6. पैडी स्ट्रा चापर
7. हाइड्रोलिक रिवर्सेबुल एम.बी. प्लाऊ
8. बेलिंग मशीन
9. क्रॉप रीपर
10. स्ट्रा रेक
11. रीपर कम बाइंडर
12. सेडर
13. मल्चर
14. रोट्री स्लैशर
कृषक भाई यदि भूमि में पादप अवशेष मिलाते हैं तो निम्न प्रकार के लाभ प्राप्त कर सकते हैं-
- एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन के घटक के रूप में फसल अवशेष भी अहम योगदान प्रदान करता है। फलस्वरूप मृदा में कार्बनिक पदार्थ की बढ़ोत्तरी से मृदा जीवाणुओं की क्रियाशीलता बढ़ती है जिसके कारण उत्पादन पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है।
- वातावरण को विपरीत परिस्थितियों से बचाने में सहायक है।
- दलहनी फसलों के फसल अवशेष भूमि में नत्रजन एवं अन्य पोषक तत्वों की मात्रा को बढ़ाने में सहायक है।
- फसल अवशेष कम्पोस्ट खाद बनाने में सहायक है जो कि मृदा की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक क्रियाओं में लाभदायक है।
- पादप अवशेष मल्च के रूप में प्रयोग करने में मृदा जल संरक्षण के साथ-साथ फसलों को खरपतवारों से बचाने में सहायक है।
- मृदा के जीवांश में हो रहे लगातार हास को कम करने में योगदान करता है।
- मृदा जलधारण क्षमता में बढ़ोत्तरी होती है।
- मृदा वायु संचार में बढ़ोत्तरी होती है।
कृषक भाई यदि फसल अवशेष जलाते हैं तो उनसे होने वाली हानियाँ निम्नवत् हैं –
1. फसलों के अवशेष को जलाने से उनके जड़, तना, पत्तियों में संचित लाभदायक पोषक तत्वों का नष्ट हो जाना।
2. फसल अवशेष को जलाने से मृदा ताप में बढ़ोत्तरी होती है जिसके कारण मृदा के भौतिक, रासायनिक एवं जैविक दशा पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
3. पादप अवशेष में लाभदायक मित्र कीट जलकर मर जाते हैं जिसके कारण वातावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
4. पशुओं के चारे की व्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
- नजदीक के किसानों की फसलों एवं आबादी में अग्निकाण्ड की सम्भावना बनी जाती है।
अतः प्रदेश के कृषकों से अनुरोध है कि किसी भी फसल के अवशेष को जलायें नहीं बल्कि मृदा में कार्बनिक पदार्थों की वृद्धि हेतु पादप अवशेष को मृदा में मिलायें / सड़ायें। फसलों की कटाई कम्बाइन हार्वेस्टर मशीन के साथ अनिवार्य रूप ये सुपर एस०एम०एस० अथवा अवशेष प्रबन्धन वाले अन्य यंत्रों का प्रयोग करें।
प्रभावी बिन्दु
उन्नतशील कृषि यंत्रों का प्रयोग करें।
वेस्ट डिकम्पोजर साल्यूशन का छिड़काव कर, कम्पोस्टिंग करें।
फसल अवशेष से बायोकोल, बायो सी.एन.जी. तथा बायो एथेनॉल का व्यावसायिक उत्पादन किया जा सकता है।
ऐसे अवशेष से पोषक कार्बनिक खाद तैयार की जा सकती है।
फसल अवशेषों को खेतों में न जलाएं
बल्कि इसे खेत में मिलाकर ज़मीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाएं
मा. राष्ट्रीय हरित अधिकरण, नई दिल्ली द्वारा फसल अवशेष जलाए जाने पर निम्नलिखित दण्ड घोषित किया गया है :
- कृषि भूमि का क्षेत्र 02 एकड़ से कम होने की दशा में अर्थ दण्ड रू. 2500.00 प्रति घटना।
- कृषि भूमि का क्षेत्र 02 एकड़ से अधिक किन्तु 05 एकड़ तक होने की दशा में अर्थदण्ड रु. 5000.00 प्रति घटना ।
- कृषि भूमि का क्षेत्र 05 एकड़ से अधिक होने की दशा में अर्थ दण्ड रू. 15,000.00 प्रति घटना। खेतों में अवशेष जलाने की लगातार दो घटनाएं होने की दशा में सम्बन्धित कृषक को सरकार द्वारा दिये जाने वाले अनुदान आदि से वंचित कर दिये जाने के निर्देश मा. राष्ट्रीय हरित अधिकरण, नई दिल्ली द्वारा दिये गये हैं।
- प्रदेश में फसलों की कटाई कम्बाइन हार्वेस्टर मशीन के साथ अनिवार्य रूप ये सुपर एस०एम०एस० अथवा अवशेष प्रबन्धन वाले अन्य यंत्रों का प्रयोग किया जाना आवश्यक है।
कृपया अधिक जानकारी हेतु किसान कॉल सेन्टर के निःशुल्क टॉल फ्री नं. 1800-180-1551 पर सम्पर्क करें।
विशेष जानकारी हेतु कृषि विभाग के स्थातीय कर्मचारी / अधिकारी से सम्पर्क करें
अथवा कृषि विभाग की वेबसाइट www.upagripardarshi.gov.in देखें।