उन्नतशील कृषि यंत्र
भूमि पर जनसंख्या के दबाव के कारण, औसत जोत कम हो रही है। अधिकतर कृषक लघु तथा सीमान्त श्रेणी के हैं। सीमित भूमि से खाद्यान्न आवश्यकता की प्रतिपूर्ति केवल वैज्ञानिक कृषि एवं नवीन कृषि प्रबंधन से ही संभव है। सघन कृषि को अधिक उत्पादन देने वाले बीजों की प्रजातियों, उनकी भारी मात्रा में उर्वरकों के उपयोग की दक्षता तथा सिंचाई ने नवीन आशाएं प्रदान की हैं।
अब बीजों की जैवकीय क्षमता में भी उत्पादन वृद्धि की सीमित संभावनाएं हैं। अधिक मात्रा में उर्वरकों तथा कृषि रक्षा रसायनों के प्रयोग का कुप्रभाव भूमि तथा मानव स्वास्थ्य पर पड़ने के कारण, इनका प्रयोग भी सीमित होता जा रहा है। अन्य निवेशों के प्रयोग की स्थिति यथावत् बनाये रखकर, उन्नतशील कृषि यन्त्र / मशीनरी का प्रयोग करते हुए उत्पादकता एवं उत्पादन में वृद्धि की प्रबल संभावनाएं हैं।
तात्पर्य यह है कि कृषि यंत्र / मशीनरी कृषि उत्पादकता एवं उत्पादन वृद्धि में अत्यन्त महत्वपूर्ण है।उन्नत कृषि यंत्र / मशीनरी, विभिन्न कृषि कार्यों को समय पर संपन्न करने में सहायक होने के साथ-साथ समय, श्रम ऊर्जा तथा श्रमिकों की बचत करते हैं और अन्य निवेशों जैसे बीज, उर्वरक, कृषि रक्षा रसायन, सिंचाई जल आदि का अधिकतम उपयोग करने में सहायता प्रदान करते हैं। इनके प्रयोग से प्रति इकाई उत्पादन लागत कम तथा उत्पादन में वृद्धि होती है। शोध संस्थाओं के परिणाम के अनुसार विभिन्न कृषि कार्यों से सम्बन्धित यंत्रों/उपकरणों के प्रयोग से निम्नानुसार उत्पादन में वृद्धि व क्षतियों में बचत होती है-
क्र. सं. | संबंधित कृषि कार्य का नाम | उत्पादन में वृद्धि एवं बचत |
1. | भूमि की तैयारी के यंत्र | 2 से 5 प्रतिशत |
2. | बुआई तथा रोपाई के यंत्र | 10 से 20 प्रतिशत |
3. | निकाय – गुड़ाई के यंत्र | 10 से 20 प्रतिशत |
4. | कटाई एवं मलाई यंत्र/उपकरण (दोनों की नुकसान के बचत) | 5 से 30 प्रतिशत |
कृषि यंत्रीकरण की योजना
यह योजना प्रदेश के समस्त जनपदों में लागू है। इस योजना के अन्तर्गत कृषि कार्यों की समयबद्धता के साथ-साथ कम लागत सुनिश्चित कर उत्पादकता में वृद्धि करने के उद्देश्य से कृषकों को अनुदान पर यंत्र वितरित किये जाते हैं। इन उन्तशील कृषि यंत्रों को खेत की सामयिक तैयारी, बुआई, रोपाई, कटाई एवं मड़ाई में विशेष योगदान होता है।
फसलों के नाइट्रोजन, फास्फोरस ऑक्साइड, पौटेशियम ऑक्साइड, गंधक की क्षति के साथ ही त्वचा रोग, हृदय रोग और श्वांस रोग हो रहे हैं इन क्षतियों से दृष्टिगत माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण के निर्देशों के अनुपालन में फसल अवशेष को जलाने से रोकने हेतु फसल अवशेष के उचित प्रबन्धन के अन्तर्गत प्रदेश स्तर पर सुपर स्ट्रा मैनेजमेण्ट सिस्टम, हैप्पी सीडर, सुपर सीडर आदि यंत्र जो कि फसल अवशेष प्रबन्धन हेतु उपयोगी हैं, को प्रोत्साहित कर, उनके उपयोग को बढ़ावा दिया जाना है ताकि प्रदेश के कृषकों द्वारा अधिक से अधिक इन यंत्रों का उपयोग कृषि कार्यों में किया जाय।
कृषि यंत्र एवं मशीनरी का अनुरक्षण
कृषि यंत्र एवं मशीनरी अपेक्षाकृत एक महंगा निवेश है। अतः इनका प्रयोग रख-रखाव विशेष सावधानीपूर्वक करने से पूर्ण लाभ, विश्वसनीय एवं व्यवधानहीन दीर्घकाल तक, निरन्तर सेवा प्राप्त की जा सकती है। यद्यपि प्रत्येक यंत्र / मशीनरी के प्रयोग अनुरक्षण तथा भण्डारण में कतिपय विशेष बिन्दुओं की ओर ध्यान देने की आवश्यकता होती है, परन्तु सामान्य रूप से सभी यंत्रों / मशीनों के प्रयोग से पूर्व, प्रयोग के पश्चात् तथा उनके भंडारण में निम्न मुख्य बिन्दुओं पर ध्यान देने से दीर्घकाल तक बिना कठिनाई के, अच्छी सेवा प्राप्त की सकती है।
प्रयोग से पहले
सभी नट-बोल्ट वाशर व अवयव अपने स्थान पर ठीक से लगे हो। सभी नट-बोल्ट तथा बेल्ट चेन पर्याप्त कसे तथा तनावयुक्त हैं। सभी धार वाले अवयव, शेयर, सावेल, डिस्क आदि पर्याप्त तेज (शार्प) हैं। सभी अवयवों का आपस में सामंजस्य ठीक है। सभी चलने वाले अवयवों (भूविंग पार्ट्स) में पर्याप्त तेल, ग्रीस दिया गया है । यदि टायर लगे हैं तो उन में हवा का दबाव पर्याप्त है।
प्रयोग में नहीं
यंत्र / मशीन को पक्के/टिनशेड, छप्पर आदि से बनें यंत्रशालाओं में रखें। विशेष परिस्थिति में त्रिपाल / पॉलीथीन से ढक कर रखें। यंत्र / मशीन अच्छी तरह साफ एवं सुखा कर रखें। संभावित क्षति वाले अवयवों को निकाल कर अलग सुरक्षित रखें। रबड़, चमड़े, प्लास्टिक पट्टे व बेल्ट के भागों को निकाल कर अलग टांगे। जंग लगने वाले भागों में जंग प्रतिरोधी पेंट, विशेष परिस्थिति में प्रयोग किया हुआ मोबिल आयल, लगाकर रखें। रबड़ या टायर लगे यंत्रो / मशीनों को ईंट / लकड़ी की सहायता से भूमि से थोड़ा उठा कर रखें।
विभिन्न कृषि कार्यों की प्रकृति के अनुसार कृषि यंत्रों / उपकरणों का वर्गीकरण निम्नानुसार किया जा सकता है-
- भूमि की तैयारी के यंत्र
- बुआई तथा रोपाई के यंत्र
- निकाई-गुड़ाई के यंत्र
- फसल कटाई/खुटाई के यंत्र
- कृषि रक्षा यंत्र
- फसल ओसाई/माई के यंत्र
- फसल अवशेष प्रबन्धन यंत्र
खेत की तैयारी में प्रयोग होने वाले कृषि यंत्रः
- 1. मोल्ड बोर्ड प्लाऊ
- 2. डिस्क प्लाऊ
- 3. रिवसेंबुल मेकेनिकल एम.बी. प्लाऊ / रिवर्सेबुल हाइड्रोलिकल एम.बी.प्लाऊ
- 4. कल्टीवेटर
- 5. डिस्क हैरो
- 6. रोटावेटर
- 7. लेज़र लैण्ड लेवलर।
फसलों की निराई/गुड़ाई में प्रयोग होने वाले कृषि यंत्रः
- हैण्ड हो
- ह्वील हो
- बहुउद्देशीय ह्वील हो
- हे रैक
कृषि रक्षा में प्रयोग होने वाले कृषि यंत्र
- 1. ट्रैक्टर माउण्टेड स्प्रेयर
- 2. पावर ऑपरेटेड नेपसेक
- 3. हस्त चालित स्प्रेयर
- 4. ड्रोन
फसलों की कटाई में प्रयोग होने वाले कृषि यंत्रः
- दांतेदार हंसिया
- रीपर-कम-बाइन्डर
- पोटेटो डिगर
- फ्रूट हार्वेस्टर के साथ सुपर एस.एम.एस. अथवा फसल अवशेष प्रबन्धन वाले अन्य यंत्र
- रीपर
- कम्बाइन हार्वेस्टर