तथ्य छुपाकर EWS प्रमाण पत्र के आधार पर पाई UPSC में नौकरी…

By Arun Kumar

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सदर तहसीलदार ने जांच कर भेजी रिपोर्ट, गोरखपुर में मिला आलीशान मकान

गोरखपुर। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) के कोटे का दुरुपयोग कर UPSC में नौकरी पाने का एक और मामला सामने आया है। यह मामला गोरखपुर से संबंधित है, जहां सिद्धार्थ कुमार सिंह नामक अभ्यर्थी ने EWS प्रमाण पत्र के लिए तथ्यों को छुपाकर आवेदन किया और UPSC की प्रतिष्ठित परीक्षा में चयनित हो गया।

मामले की तह तक जाने पर पता चला कि सिद्धार्थ कुमार सिंह, जो मूलतः महराजगंज जिले की निचलौल तहसील के कोठीभार थाना अंतर्गत ग्राम सोहट के निवासी हैं, ने वर्ष 2021, 2022 और 2023 में तीन अलग-अलग बार EWS प्रमाण पत्र बनवाया। इस दौरान उन्होंने शपथ पत्र देकर यह बताया कि उनके परिवार की वार्षिक आय ₹8 लाख से कम है और उनके पास नगर निगम क्षेत्र में 100 वर्ग गज या उससे अधिक का कोई आवासीय भूखंड नहीं है।

जांच में खुली सच्चाई

हालांकि, तहकीकात में सामने आया कि सिद्धार्थ कुमार सिंह का परिवार न केवल आर्थिक रूप से संपन्न है, बल्कि गोरखपुर नगर निगम क्षेत्र के महादेव झारखंडी, टुकड़ा नंबर-3 में 2000 वर्ग गज से अधिक का भव्य मकान भी उनके नाम है। उनके पिता उत्तराखंड सरकार से सेवानिवृत्त सरकारी कर्मचारी हैं और पेंशन प्राप्त करते हैं। एक बड़ा भाई ग्राम विकास अधिकारी के पद पर कार्यरत है, बड़ी बहन डॉक्टर हैं और एक बहन स्वाति बस्ती में नायब तहसीलदार के पद पर कार्यरत हैं।इस प्रकार, EWS के लिए निर्धारित सभी मानदंडों का स्पष्ट उल्लंघन करते हुए झूठे शपथ पत्रों के आधार पर उन्होंने तीन EWS प्रमाण पत्र प्राप्त किए और UPSC की परीक्षा में अनारक्षित गरीब अभ्यर्थियों का अवसर छीन लिया।

बहुचर्चित ‘पूजा खेड़कर’ प्रकरण की पुनरावृत्ति

यह मामला हाल ही में महाराष्ट्र की प्रशिक्षु IAS अधिकारी पूजा खेड़कर के प्रकरण से मेल खाता है, जहां झूठे दस्तावेजों के आधार पर नौकरी प्राप्त करने के कारण उनका चयन रद्द कर दिया गया था और प्रतियोगी परीक्षाओं से आजीवन प्रतिबंध भी लगाया गया था।

कानूनी कार्रवाई की मांग

इस मामले में गोरखपुर के वरिष्ठ अधिवक्ता और समाजसेवी द्वारा UPSC अध्यक्ष को लिखे गए शिकायती पत्र में सिद्धार्थ कुमार सिंह पर कार्रवाई की मांग की गई है। उनका कहना है कि EWS कोटा सरकार द्वारा सोच-समझकर जनरल वर्ग के जरूरतमंदों के लिए आरक्षित किया गया है, लेकिन कुछ सम्पन्न लोग इसकी आड़ में इसका अनुचित लाभ उठा रहे हैं, जो न केवल सामाजिक अन्याय है, बल्कि नैतिक अपराध भी है।

जांच रिपोर्ट भेजी गई, कार्रवाई की संस्तुति

सदर तहसीलदार गोरखपुर ज्ञान प्रकाश सिंह ने अपनी जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी को प्रेषित कर दी है, जबकि निचलौल तहसीलदार द्वारा भ्रामक रिपोर्ट दिए जाने की शिकायत मंडलायुक्त, गोरखपुर मंडल को भेजी गई है। उम्मीद है कि पूजा खेड़कर की तर्ज पर सिद्धार्थ कुमार सिंह पर भी निष्पक्ष जांच के उपरांत आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

EWS प्रमाण पत्र की पृष्ठभूमि

भारत सरकार द्वारा 103वें संविधान संशोधन के तहत आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के नागरिकों को शैक्षणिक संस्थानों, सरकारी नौकरियों और योजनाओं में 10% आरक्षण का प्रावधान किया गया है। इसके लिए पात्र व्यक्ति को EWS प्रमाण पत्र लेना आवश्यक होता है, जो तहसील स्तर पर जारी किया जाता है।

यह प्रमाण पत्र केवल सामान्य वर्ग (General Category) के उन लोगों को दिया जाता है, जो SC, ST या OBC वर्ग में नहीं आते और जिनकी वार्षिक पारिवारिक आय ₹8 लाख से कम हो, साथ ही अधिसूचित शहरी क्षेत्र में 100 वर्ग गज से अधिक का मकान अथवा कृषि भूमि उनके नाम न हो।

Arun Kumar

Arun Kumar is a senior editor and writer at www.bhartiyasarokar.com. With over 4 years of experience, he is adept at crafting insightful articles on education, government schemes, employment opportunities and current affairs.

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