लेवी स्ट्रॉस का जीवन परिचय तथा इन के संरचना सिद्धांत का मूल आधार क्या है?

By Arun Kumar

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लेवी स्ट्रॉस का जीवन परिचय

लेवी स्ट्रॉस (25 नवम्बर 1908 – 30 अक्टूबर 2009) फ्रांसीसी मानव विज्ञानी और नस्ल विज्ञानी थे। इन्हें जेम्स जोर्ज फ्रेजर के साथ आधुनिक मानव विज्ञान का पिता कहा जाता है। इन्होंने एलाइन्स थ्योरी को प्रतिपादित किया।

नामलेवी स्ट्रॉस
जन्म25 नवम्बर 1908
जन्म स्थानफ्रांस
मृत्यु30 अक्टूबर 2009
योगदान एलाइन्स थ्योरी को प्रतिपादित

लेवी स्ट्रॉस का संरचनावाद (Structuralism of Levi Strauss)

लेवी स्ट्रॉस के अनुसार, “सामाजिक संरचना का सम्बन्ध किसी भी प्रकार की प्रयोगसिद्ध वास्तविकता से नहीं है, अपितु उन प्रारूपों से है जो संरचना को विकसित करतेहैं।” स्ट्रक्चरल एन्थ्रोपोलोजी (Structural Anthropology)’ नामक पुस्तक में स्ट्रॉस का यह निष्कर्ष है कि भाषाविज्ञान द्वारा सामाजिक संरचना का विश्लेषण अधिक स्पष्ट हो सकता है।

स्ट्रॉस एक प्रमुख संरचनावादी विद्वान् हैं, उन्होंने केवल सामाजिक संरचना की अवधारणा ही विकसित नहीं की, बल्कि विनिमय का संरचनावादी सिद्धान्त भी प्रतिपादित किया है। साथ ही उन्होंने नातेदारी व्यवस्था के अध्ययन में भी सामाजिक संरचना की अवधारणा को अपनाया है और इसे उपयोगी माना है।

स्ट्रॉस की रचनाओं में संरचनावाद तथा प्रकार्यवाद काफी सीमा तक एक-दूसरे से पुन: जुड़े हुए दिखाई देते हैं। इन्होंने दुर्खीम को आधार माना है तथा रेडक्लिफ ब्राउन व मैलिनोवस्की का भी इन पर प्रभाव पड़ा है। इन्होंने संरचनावाद की रूपरेखा ‘दी एलीमेण्ट्री स्ट्रक्चरल ऑफ किनशिप (The Elementary Structure of Kinship)’ नामक पुस्तक में प्रस्तुत की है।

सामाजिक संरचना के प्रमुख तथ्य (Major facts of social structure)

स्ट्रॉस के अनुसार, संरचनाओं में निम्नलिखित तीन प्रमुख बातें निहितहोती हैं-

1. संरचनाएँ अन्तर्सम्बन्धित तत्त्वों से बनती हैं।

2. संरचनाएँ रूपान्तरणों को सम्मिलित करती हैं।

3. संरचनाएँ भविष्यवाणी सम्भव बनाती हैं।

स्ट्रॉस का नातेदारी-संरचना विश्लेषण (Strauss’s kinship-structure analysis)

स्ट्रॉस की लोकप्रियता उनकी नातेदारी की संरचना के विश्लेषण के कारण है। उनका प्रिय विषय मिथक की व्याख्या है। वे कहते हैं कि किसी भी मिथक में विभिन्न प्रकार की कहानियों और विषय सामग्री होती है। इन सबमें अन्तर्निहित कुछ ऐसे तत्त्व होते हैं, जो निरन्तर पाए जाते हैं। वे तत्त्व जो विभिन्न मिथकों में समान रूप से बने होते है, संरचना है। नातेदारी विश्लेषण को ही उन्होंने मिथक पर लागू किया है। हमारे विचारों में जो प्रक्रिया है, वे ही हमें मनुष्य बनाती हैं।

वे कहते हैं कि जो कुछ हमारा दैनिक जीवन है व्यवसाय, रीति-रिवाज, परम्पराएँ आदि हैं इन सबके पीछे मनुष्य की बौद्धिक गतिविधियाँ हैं। ऐसा नहीं होता कि समाज का संगठन बौद्धिक क्रियाओं को बनाता है। दूसरे शब्दों में, किसी भी सामाजिक जीवन को बिताने से पहले हमें किसी-किसी अर्थ में सोचना अवश्य पढ़ेगा। इस प्रकार सामाजिक जीवन का उद्गम बौद्धिक गतिविधि है। मिथक के बारे में वे कहते हैं कि दुनियाभर के मिथकों के कुछ तत्त्व सार्वभौमिक हैं और यह सार्वभौमिक तत्त्व ही संरचना है।

स्ट्रॉस का भाषा संरचना विश्लेषण (Strauss’s analysis of language structure)

वास्तव में, लेवी स्ट्रॉस अपने सिद्धान्त की प्रेरणा भाषा वैज्ञानिकों से लेते हैं। वे कहते हैं कि वस्तुओं के घटने का कारण भाषा और उसकी अवधारणाएँ हैं। कभी भी भाषा वस्तुओं का परिणाम नहीं होती। यह इसी कारण है कि हम भाषा के माध्यम से वस्तुओं व अपने आप को समझाते हैं। प्रत्येक भाषा में एक गहन व्याकरण होता है जिसमें सभी भाषाओं में सहमति होती है। इसका अर्थ यह हुआ कि दुनियाभर की भाषाओं में ऐसे शब्द होते हैं, जो दुनिया के बारे में हमें जानकारी देते हैं।

क्लाड लेवी स्ट्रॉस के सरंचनावाद की समीक्षा (Review of Claude Levi-Strauss’s Structuralism)

संरचनावाद के सम्बन्ध में प्रायः सभी समाजशास्त्रियों ने यह स्वीकार किया है। कि संरचनावाद की जड़ें भाषा में हैं। स्ट्रॉस ने भी भाषा सम्बन्धी सामग्री का संरचनात्मक विधि से विश्लेषण किया है। स्ट्रॉस ने नातेदारी व्यवस्था का भी संरचनात्मक विश्लेषण किया है। स्ट्रॉस का मानना है कि भाषा और नातेदारी सम्बन्धी मिथक किसी चेतन प्रक्रिया का परिणाम नहीं है बल्कि मास्तिष्क की अचेतन व तार्किक संरचना का परिणाम है।

संरचनाओं की व्यवस्था मस्तिष्क की तार्किक संरचना के क्रियात्मक व्यवहारों के आधार पर स्थापित होती है। स्ट्रॉस के संरचनावादी विश्लेषण का उद्देश्य यथार्थता की सुस्पष्ट अन्तर्वस्तु प्राप्त करना है। इस सन्दर्भ में स्ट्रॉस ने संरचना और व्यवस्था में स्पष्ट भेद नहीं किया है। स्ट्रॉस के अनुसार, आदिम समाज से लेकर औद्योगिक समाज तक सभी समाजों का अध्ययन संरचनात्मक पद्धति के द्वारा ही किया जा सकता है। यद्यपि स्ट्रॉस ने अपने संरचनात्मक विश्लेषण में आदिम समाजों को अध्ययन का केन्द्र बनाया है। क्योंकि उनके अनुसार आदिम समाजों में विकृतियाँ कम होती है और इसलिए। इन समाजों की संरचनाओं का विश्लेषण सरलता से किया जा सकता है।

स्ट्रॉस के संरचनावाद की अन्य विशेषता उनके द्वारा अपनायी जाने वाली तुलनात्मक विधि है। इस विधि के द्वारा स्ट्रॉस कुछ ऐसी संरचनाओं की खोज करना चाहते हैं जिनके आधार पर समाज के सम्बन्ध में मान्यताओं की स्थापना कर सकें।

स्ट्रॉस से पहले दुखम ने सामाजिक तथ्यों की पद्धति का विश्लेषण समाज के सन्दर्भ में किया था किन्तु दुर्खीम और स्ट्रॉस के संरचनावाद में मुख्य अन्तर यह है कि दुर्खीम ने सामाजिक संरचनाओं को व्यक्तिगत दबाव के रूप में स्वीकार किया था जबकि स्ट्रॉस ने इन्हें मस्तिष्क के दबाव के रूप में स्वीकार किया है। इस प्रकार स्ट्रॉस ने संरचनावाद के सम्बन्ध में एक गतिशील दृष्टिकोण का विश्लेषण किया है।

क्लॉड लेवी स्ट्रॉस की प्रमुख पुस्तकें -Major books of Claude Levi-Strauss

  • माइथ एण्ड मीनिंग
  • एन्थ्रोपोलॉजिज स्ट्रक्चरल
  • ट्राइस्टस ट्रॉपिक्यूज
  • द वे ऑफ द मास्क
  • द रॉव एण्ड द कुक्ड वैल्यूम।
  • द जिलियस पोटरस्ट्रक्चरल एन्थ्रोपोलॉजी
  • द ऑरिजिन ऑफ टेबल मैनर्स
  • द एलिमेन्ट्री स्ट्रक्चर्स ऑफ किनशिप

निष्कर्ष

भारतीय सरोकार में आपका स्वागत है। इस पोस्ट के माध्यम से हमने समाजशास्त्र से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदु पर ध्यान देते हुए यूनिवर्सिटी में अक्सर पूछे जाने वाले क्वेश्चन, सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी, गोरखपुर यूनिवर्सिटी, आगरा यूनिवर्सिटी, दिल्ली यूनिवर्सिटी, अलीगढ़ यूनिवर्सिटी सहित यूजीसी नेट एवं BA, MA Sociology सोशियोलॉजी से संबंधित महत्वपूर्ण बिंदुओं को ध्यान में रखती थी पूरे पोस्ट को तैयार किया गया है।

FAQ

Q. लेवी स्ट्रॉस किस जाति का है?

A. लेवी स्ट्रॉस का जन्म 26 फरवरी, 1829 को जर्मन परिसंघ में बवेरिया साम्राज्य के फ्रैंकोनिया क्षेत्र में बुटेनहेम में एक यहूदी परिवार में हुआ था।

Q. लेवी स्ट्रॉस संरचनावाद क्या है?

A. लेबी स्ट्रॉस के संरचनावाद का आधार मनुष्य की अचेतन ववचार प्रणाली है. उनका मानना था वक संस्ट्कृवत के अध्ययन में मनुष्य की ववचार प्रविया को समझना आवश्यक है.

Q. लेवी स्ट्रॉस के संरचना सिद्धांत का मूल आधार क्या है?

A. लेवी स्ट्रॉस के संरचना सिद्धान्त का मूल आधार नातेदारी संरचना का विश्लेषण है

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Arun Kumar

Arun Kumar is a senior editor and writer at www.bhartiyasarokar.com. With over 4 years of experience, he is adept at crafting insightful articles on education, government schemes, employment opportunities and current affairs.

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