माता प्रसाद पांडेय की बांह में लगी थी गोली

माता प्रसाद पांडेय की बांह में लगी थी गोली

● अंग्रेजों ने निहत्थों पर चलवाई थीं गोलियां

● घटना में 13 क्रांतिवीर हो गए थे शहीद

मऊ/मधुबन। जिले के महान स्वाधीनता की लड़ाई में मधुबन हमेशा अग्रणी भूमिका निभाया है। 1942 के क्रांति में मधुबन के 13 रणबाकुरों को मां भारती के बलिबेदी पर अपने प्राणों की आहुति देना पड़ा था। सैकड़ो क्रांतिवीर ब्रिटिश अताताइयों के गोलियों का शिकार हुए थे। इनमें से एक थे फतहपुर मंडाव निवासी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी माता प्रसाद पाण्डेय।

सेनानी स्व.पाण्डेय के पौत्र सतीश पाण्डेय व राजेश पाण्डेय ने बताया कि 1942 के मधुबन क्रांति में इनके बाबा स्व.स्वतंत्रता संग्राम सेनानी माता प्रसाद पाण्डेय जूनियर हाई स्कूल की पढ़ाई के दौरान जवाहर लाल नेहरू के आदर्शों को आत्मसात करते हुए स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रामसुन्दर पाण्डेय, गोरखनाथ शुक्ल , मंगलदेव पाण्डेय के सानिध्य में आकर ब्रिटानिया हुकूमत के खिलाफ मुहिम छेड़ा था। 1942 में जब बरोहा निवासी गोरखनाथ शुक्ल को ब्रिटिश सिपाहियों ने गिरफ्तार कर लिया तो आजादी के दीवानों का एक हुजूम थाने पर कूच कर दिया। इस दौरान ब्रिटानिया हुकूमत के सिपाहियों ने निहत्थी जनता पर अंधाधुंध गोलिया बरसाई थी, जिसमें 13 क्रांतिवीर शहीद हुए थे। सैकड़ों क्रांतिकारियों को गोलियों का शिकार होना पड़ा था।इस गोलीबारी में माता प्रसाद पाण्डेय के बाह में गोली लगी थी।

पौत्र द्वय ने बताया कि जनता देश से ब्रिटिश अताताइयों को भगाना चाहती थी। सर्व प्रथम क्रांति वीरों ने मधुबन थाने पर तिरंगा फहराते हुए 1942 में ही आजादी का बिगुल फूंक दिया था।

निष्कर्ष

भारतीय सरोकार में आपका स्वागत है इस पोस्ट के माध्यम से हमने आपको स्वतंत्रता सेनानी से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य आपको बताया इसके साथ ही हमने बताया कि आजादी के दीवानों का एक हुजूम थाने पर कूच कर दिया। इस दौरान ब्रिटानिया हुकूमत के सिपाहियों ने निहत्थी जनता पर अंधाधुंध गोलिया बरसाई थी, जिसमें 13 क्रांतिवीर शहीद हुए थे। सैकड़ों क्रांतिकारियों को गोलियों का शिकार होना पड़ा था।इस गोलीबारी में माता प्रसाद पाण्डेय के बाह में गोली लगी थी।