केले संग पपीता और गेंदा की खेती से महकी किसान की दुनिया

By Arun Kumar

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यूपी, बस्ती। किसी ने सच ही कहा है कि किसान स्वयं में एक वैज्ञानिक होता है। कड़ी मेहनत और हौसले के बल से कुछ किसान ऐसा कर दिखाते हैं, जो दूसरे किसानों के लिए मिसाल बन जाता है।

ऐसा ही उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के कप्तानगंज के एक शिक्षक ने कर दिखाया। जो केले के साथ गेंदे के फूल और पपीते की सहफसली खेती कर अच्छी आमदनी कमा रहे हैं।

बस्ती जिले के कप्तानगंज क्षेत्र के कोइलपुरा (Koilpura) गांव के मंगल प्रसाद मौर्य (Mangal Prasad Maurya) जो पेशे से शिक्षक हैं। उन्होंने गढहा गौतम में चंद्रिका सिंह के खेत में खुद के देखरेख में हाईटेक केले की सहफसली खेती के कई प्रयोग किए।

कैसे करें खेत का चुनाव

मंगल प्रसाद मौर्य (शिक्षक)

केले के साथ गेंदे और पपीते की खेती

केले के साथ गेंदे के फूल और पपीते की खेती सबसे फायदेमंद व उपयोगी साबित हुई। खेत में जुलाई माह में टिशू कल्चर केले की पौध लगाई। 14 महीने की खेती में दो बार गेंदें का फूल और पपीते का फसल लगाई। फूल और पपीते की खेती में अच्छी आमदनी हुई।

मंगल प्रसाद के इस प्रयोग का लाभ अब क्षेत्र के कई किसान लेने लगे हैं। मंगल प्रसाद ने बताया कि सहफसली खेती में केले के साथ मिर्च, गोभी की खेती का प्रयोग भी किया जा सकता है।

उत्तर भारत में केले की खेती

उत्तर भारत में केले की खेती के लिए जुलाई-अगस्त का महीना सबसे अच्छा माना जाता है। मंगल प्रसाद ने बताया कि उन्होंने गेंदे की पूजा नारंगी प्रजाति के फूल के पौधे केले के दो कतारों के बीच में एक लाइन लगाया जाता है। आधे एकड़ केले के खेत में 3000 फूल के पौधे लगाए थे, जिससे 70 हजार रुपये के फूल का उत्पादन हुआ। गेंदे की सहफसली से कीट- पतंग का प्रयोग कम हो जाता है।

मंगल प्रसाद ने बताया

शिक्षक मंगल प्रसाद ने बताया कि बस्ती जिले को केले के हब के रूप में ‘विकसित किया जा सकता है। केले के फूल से अचार बनाने, फलों से चिप्स बनाने, उसके तने से कपड़े, सेनेट्री पैड आदि बनाने से किसानों के आय में वृद्धि संभव है। जो हमें अच्छा खासा इनकम देगा।

Arun Kumar

Arun Kumar is a senior editor and writer at www.bhartiyasarokar.com. With over 4 years of experience, he is adept at crafting insightful articles on education, government schemes, employment opportunities and current affairs.

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