भूमिका क्या है? परिभाषा, प्रकार एवं इसकी विशेषता।

मनोविज्ञान में भूमिका शब्द का सर्वप्रथम प्रयोग जी एच मीड ने अपनी पुस्तक माइण्ड, सेल्फ एण्ड सोसायटी में किया, लेकिन समाजशास्त्र में इसका व्यवस्थित प्रयोग राल्फ लिण्टन द्वारा किया गया। प्रस्थिति के साथ भूमिका की अवधारणा जुड़ी हुई है।

कोई भी प्रस्थिति स्वतन्त्र रूप से नहीं होती है, बल्कि वह भूमिकाओं के ताने-बाने से बुनी होती है। प्रस्थिति से जुड़े हुए क्रियात्मक पक्ष को ही भूमिका कहा जाता है। इसीलिए राल्फ लिण्टन ने भूमिका को प्रस्थिति का संस्थात्मक पक्ष कहा है। भूमिका निर्माण करने वाले दो तथ्य-व्यक्तियों की आशाएँ एवं इन आशाओं के अनुरूप किया गया व्यवहार प्रमुख होते हैं।

समाज में कोई भी भूमिका एकपक्षीय नहीं होती है। प्रत्येक भूमिका का महत्त्व अन्य प्रस्थितियों एवं भूमिका के सन्दर्भ में होता है; जैसे- एक अध्यापक अपनी भूमिका छात्रों के सम्बन्ध में निभाता है। व्यक्ति किस प्रकार की भूमिका निभाएगा, यह उस समाज की संस्कृति एवं मूल्यों द्वारा तय होती है। प्रमुख प्रस्थिति से सम्बन्धित किया जाने वाला कार्य ही प्रमुख भूमिका कहलाता है।

भूमिका की परिभाषाएँ – Role Definitions

भूमिका की परिभाषाएँ निम्न है

  • इलियट एवं मैरिल के अनुसार, “भूमिका वह कार्य है जिसे व्यक्ति प्रत्येक प्रस्थिति के अनुसार करता है।”
  • किम्बाल यंग के अनुसार, “व्यक्ति जो कार्य करता है, उसे ही हम भूमिका कहते हैं।”
  • डेविस के अनुसार, “भूमिका वह कार्य है, जिसके द्वारा व्यक्ति अपनी प्रस्थिति सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति करता है।”
  • फेयरचाइल्ड के अनुसार, “भूमिका किसी भी व्यक्ति या समूह का वह अपेक्षित व्यवहार है जो समूह या संस्कृति द्वारा परिभाषित किया गया हो।”
  • राल्फ लिण्टन के अनुसार, “एक प्रस्थिति धारण करने के कारण व्यक्ति जो कार्य करता है, वह उस पद की भूमिका कहलाता है।”
  • बीरस्टीड के अनुसार, “प्रस्थिति एवं भूमिका स्थिर न होकर सदैव बदलते रहते हैं।”

भूमिका की विशेषताएँ

  • भूमिका से तात्पर्य उन अनेक व्यवहारों की सम्पूर्णता से है जिन्हें एक विशेष स्थिति से सम्बन्धित होने के कारण व्यक्ति से पूरा करने की अपेक्षा की जाती है।
  • भूमिका की स्वीकृति समाज द्वारा होती है।
  • एक व्यक्ति की भूमिका प्रत्येक क्षेत्र में भिन्न-भिन्न होती है।प्रत्येक व्यक्ति से एक विशेष भूमिका को पूरा करने की आशा दो कारणों से की जाती है- प्रत्येक व्यक्ति सामाजिक मूल्यों के अनुसार व्यवहार करे एवं जिससेसमाज में संगठन बना रहे।
  • सामाजिक भूमिका स्थिर नहीं होती, इसमें समयानुसार परिवर्तन होता रहता है।
  • व्यक्ति से यद्यपि यह आशा की जाती है कि वह अपनी सभी भूमिकाओं का पूरी तरह से निर्वाह करेगा, लेकिन व्यावहारिक दृष्टि से सभी भूमिकाओं को समय से पूरा करना कठिन होता है।
  • प्रत्येक भूमिका के साथ कुछ-न-कुछ अधिकार एवं सुविधाएँ होती हैं।
  • सभी भूमिकाएँ समान प्रकृति की नहीं होती हैं। इस दृष्टि से भूमिकाओं को दो भागों – प्रमुख भूमिका और सामान्य भूमिका में बाँटा गया है।

भूमिका के प्रकार – Types Of Roles

  • राल्फ लिण्टन ने दो प्रकार की भूमिका बताई है—प्रदत्त भूमिका, अर्जित भूमिका।
  • बीरस्टीड ने भी दो प्रकार बताए हैं- प्रमुख भूमिका, सामान्य भूमिका।
  • नाडेल ने भी दो प्रकार बताए हैं- सम्बन्धात्मक भूमिका, गैर-सम्बन्धात्मक भूमिका।
  • न्यूकॉम्ब एवं माइकल बेटन ने दो प्रकार बताए हैं- अपेक्षित भूमिका, वास्तविक भूमिका।
  • माइकल बेटन ने तीन प्रकार बताए हैं- बुनियादी भूमिका, सामान्य भूमिका, स्वतन्त्र भूमिका।
  • बेटन ने भूमिकाओं को एक पैमाने पर देखने का प्रयास किया है।

प्रस्थिति तथा भूमिका में अन्तःसम्बन्ध एवं अन्तर – Interrelationships And Differences In Presence And Role

  • प्रस्थिति और भूमिका परस्पर सम्बन्धित भूमिका है। इसके बावजूद भी दोनों में अन्तर पाए जाते हैं। दोनों की पृथक् पृथक् स्थिति होती है।समाज में प्रस्थितियाँ समान होने पर भी भूमिका निभाने के तरीके भिन्न होते हैं।
  • भूमिका व प्रस्थिति अनिवार्य रूप से एक-दूसरे से जुड़ी हुई नहीं हैं। भूमिका के बिना प्रस्थिति हो सकती है, तो वहीं प्रस्थिति के अभाव में भूमिका नहीं हो सकती है; जैसे- एक उच्चाधिकारी सफेदपोश या भ्रष्ट अधिकारी हो जाता है, तो उसकी अपराधी भूमिका प्रस्थिति के अनुसार नहीं होती है।
  • प्रस्थिति को बिना भूमिका के भी धारण किया जा सकता है; जैसे – एक व्यक्ति अकेले ही अपने को राजा कहता है, जबकि दूसरे लोग वैसा नहीं मानते, तो वह बिना भूमिकाओं के ही प्रस्थिति धारण करता है।

भूमिका एवं प्रस्थिति के प्रारूप – Role And Status Models

• तबला वादक – प्रस्थिति

• तबला वादन – भूमिका

• डॉक्टर – प्रस्थिति

• डॉक्टरी – भूमिका

• मजदूर – प्रस्थिति

• मजदूरी – भूमिका

• माँ अर्जित – प्रस्थिति

• पिता अर्जित – प्रस्थिति

निष्कर्ष।

भारतीय सरकार में आप का स्वागत है इस पोस्ट के माध्यम से दोस्तों हम भूमिका (Role) से संबंधित पूरी जानकारी आपको इस पोस्ट के माध्यम से देने का प्रयास किया हूं। निश्चित रूप से इस पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको काफी जानकारी मिली होगी।

FAQ

Q.भूमिका in English

Answer. Role

Q. भूमिका से आप क्या समझते हैं?

A. भूमिका वह है, जो एक व्यक्ति अपने द्वारा धारित प्रस्थिति के अनुसार निभाता है।

Q.भूमिका कैसे कहते हैं?

A. भूमिका पृष्ठभूमि को कहा जाता है जिसे बैकग्राउंड कहते हैं।

Q. भूमिका का अर्थ क्या है?

A. भूमिका भारतीय मूल का एक स्त्री नाम है जिसका अर्थ है “पृथ्वी”, जो इसे आपके छोटे बच्चे के लिए सही विकल्प बनाता है।

Q. भूमिका से आप क्या समझते हैं?

A. सामाजिक स्थिति

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