कौटिल्य का अर्थशास्त्र – Kautilya’s Arthashastra

By Arun Kumar

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कौटिल्य का अर्थशास्त्र- मौर्य युगीन समाज के सामाजिक, राजनीतिक, प्रशासनिक, धार्मिक, आर्थिक अन्य सांस्कृतिक इतिहास की जानकारी के लिए कौटिल्य द्वारा लिखित अर्थशास्त्र का अतिशय महत्व है। कौटिल्य को विभिन्न स्रोतों में चाणक्य और विष्णुगुप्त भी कहा गया है। यह तक्षशिला का ब्राह्मण और वहां के विख्यात शिक्षा केन्द्र का आचार्य था। मगध के नन्दवंशी शासक ने इसका अपमान किया। इससे क्रुद्ध होकर चन्द्रगुप्त मौर्य की सहायता से इन्होंने नन्दों का अन्त कर मगध पर मौर्य वंश के राज्य की स्थापना की।कौटिल्य की महान रचना ‘अर्थशास्त्र’ विभिन्न सूत्रों और श्लोकों के रूप में लिखी गयी है।

इनकी संख्या लगभग 4000 है। इस ग्रन्थ में 15 अधिकरण और 180 अध्याय हैं। इस ग्रन्थ को खोजने या प्रकाशित करने का श्रेय डॉ० शामशास्त्री को जाता है। विद्वानों की मतवैभिन्नता ने इस ग्रन्थ को विवादित बना दिया है। जौली, कीथ आदि का विचार है कि यह पुस्तक तृतीय शती ई० में रची गयी। जॉली कहते हैं कि भाषा, याज्ञवल्क्य की रचनाओं से अर्थशास्त्र बहुत अधिक साम्यता रखती है।

इस वर्ग को विचारक कहते हैं कि यूनानियों ने अपनी रचनाओं में कहीं कौटिल्य या उनकी किसी रचना का उल्लेख मात्र भी नहीं किया है। इसमें भारत का जो विवरण प्रस्तुत है वह अशोक या मेगस्थनीज से नहीं मिलता जुलता। आर०जी० भण्डारकर ने लिखा कि यह प्रथम शती ई० की रचना है। इसमें कौटिल्य का विचार अन्य पुरूष अर्थात ‘इतिकौटिल्यः’ में व्यक्त किया गया है। लेकिन शामशास्त्री, के०पी० जायसवाल, स्मिथ आदि विद्वान उपरोक्त मत को स्वीकार नहीं करते। इस वर्ग के विद्वानों ने अनेक तर्को से उपरोक्त मत का खण्डन किया है। इनका कहना है कि संस्कृत साहित्य के अनेक ग्रन्थ कौटिल्य और अर्थशास्त्र का उल्लेख करते हैं। इनमें वायु पुराण, विष्णु पुराण, दण्डी, कामन्दक आदि प्रसिद्ध हैं। अर्थशास्त्र में ही कौटिल्य को नन्द का विनाशक और शस्त्र, शास्त्र और भूमिका उद्धारक कहा गया है। प्राचीन संस्कृत साहित्य के लेखक प्रायः अपना नाम अन्य पुरूष में लिखते हैं। यह तो परम्परा सी बन गयी थी।

मेगस्थनीज और कौटिल्य के अनेक विवरण समान भी हैं। जैसे- सम्राट की अंगरक्षक स्त्रियों, मालिश, गुप्तचर, आखेट में जाते राजा के साथ राजकीय जुलूस आदि। भद्र, लिच्छवी, मल्ल आदि का उल्लेख इसे मौर्य युग का सिद्ध करता है। अशोक के लेखों और अर्थशास्त्र दोनों में ‘युक्त’ शब्द का प्रयोग अधिकारियों के अर्थ में आया है। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि अर्थशास्त्र मौर्य युगीन रचना है। इसके रचनाकार वही कौटिल्य हैं जिन्होंने नन्दों का विनाश कर मगध में चन्द्रगुप्त मौर्य की सत्ता स्थापित कराई थी

Arun Kumar

Arun Kumar is a senior editor and writer at www.bhartiyasarokar.com. With over 4 years of experience, he is adept at crafting insightful articles on education, government schemes, employment opportunities and current affairs.

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