विज्ञानी विधि से खेती कर प्रेरणा दे रहे कौशलेंद्र

Kaushalendra is inspiring by farming using scientific methods.

• ड्रिप सिचाई व मल्चिंग विधि से कम खर्च ले रहे अच्छा उत्पादन

• 2016 में नौकरी छोड़ शुरू किया था सब्जी की खेती का कारोबार

नौकरी ही कमाई का जरिया नहीं है. युवा वर्ग अन्य व्यवसाय को भी अपना कर लाभ कमा सकते हैं। बस जरूरत है, सच्चे लगन और मेहनत की। कुछ ऐसा ही बहादुरपुर विकास खंड के नारायणपुर निवासी कौशलेंद्र पांडेय ने कर दिखाया है।

विज्ञानी विधि से सब्जी व केले की खेती को अपना कर नजीर तो पेश ही कर रहें हैं, इसके साथ ही प्रतिमाह करीब एक लाख रुपये की कमाई भी कर रहे हैं।कौशलेंद्र इसके पहले एक मल्टीनेशनल, कंपनी में नौकरी करते थे । पारिवारिक स्थिति के चलते घर लौट कर खेती को कमाई का जरिया बनाने का निर्णय लिया। इंटरनेट मीडिया की मदद से सब्जी की खेती के हुनर को सीखा । वर्ष 2016 में विज्ञानी विधि से खेती की शुरूआत की।

सबसे पहले केला और दमाटर का उत्पादन किया। 17 बीघे में तरह तरफ का उत्पादन कर लाभ कमा रहे हैं। मौजूदा समय स्टेकिंग विधि से दो बीघा टमाटर, शिमला मिर्च, भरा मिचर्चा और लूबिया की खेती की है। गर्मी के मौसम में करेला, लौकी, खीरा व टमाटर के उत्पादन के लिए पाली हाउस नर्सरी उगा कर रोपाई का कार्य शुरू कर दिया है।

बताया कि कमाई बराबर बनी रहे, इसके लिए लांग टर्म की खेती के साथ शार्ट टर्म की फसल टमाटर, शिमला मिर्च, खीरा, लौकी, करेला व तरबूज भी उगाता हूं।सीधे व्यापारी खेत से ही खरीद कर लते हैं ।चार माह की इस फसल से करीब पांच लाख रुपये प्रति एकड़ लाभ मिल जाता है। उत्पादन में ख़र्च कम और लाभ अधिक हो इसके लिए ड्रिप सिचाई व मल्चिंग तकनीकी को अपनाया गया है । इससे जहां पानी की 60-70 फीसद बचत होती है, वहीं उत्पादन में 20- 30 फीसद बढ़ोतरी हो जाती है। दूसरी तरफ मल्चिंग विधि का उपयोग करने से खरपतवार नियंत्रित होता है।

12 लोगों को दिया रोजगारः कौशलेंद्र जहां पहले दूसरे की नौकरी करते थे । आज अपने खेती के कार्यों में सहयोग के लिए 10-12 लोगों को रोजगार दे रखी है। जिसमें अधिकांश महिलाएं हैं, जो रोपाई से लेकर लता वाली फसलों के टहनियों को धागे से बाधने का कार्य करती हैं ।तैयार हो चुके टमाटर, शिमला मिर्च लोबिया व अन्य की तोड़ाई का कार्य करती हैं घर का कार्य निपटाने के बाद यह 200 रुपये की कमाई भी कर लेती हैं। गांव की चंद्रकला, ऊषा, आशा, कल्पना, खुशबू, सीमा, सुदामा, शीला, लक्ष्मी, रुकशाना व गुलशन ने बताया कि वह यहां बराबर काम करतीं है। जिससे उनके परिवार की आर्थिक स्थिति सुधरी है।

Leave a comment