लखनऊ: गंभीर रूप से बीमारपांच वर्ष तक के बच्चों के इलाज के लिए जल्द 63 जिला अस्पतालों में पीडियाट्रिक आइसीयू स्थापित किए जाएंगे। यहां बच्चों को उपचार की उच्चस्तरीय सुविधाएं दी जाएंगी। आक्सीजन और वेंटिलेटर की व्यवस्था होगी।
वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ
वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञों की टीम के साथ ही उच्चस्तरीय प्रशिक्षण प्राप्त पैरामेडिकल स्टाफ की देखरेख में इलाज किया जाएगा।सरकारी अस्पतालों में इस सुविधा का विस्तार किए जाने से लोगों को बड़ी राहत मिलेगी। उन्हें निजी अस्पतालों में नहीं जाना पड़ेगा।
अभी 22 पीडियाट्रिक आइसीयू जिला अस्पतालों में चल रहे हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम), उत्तर प्रदेश के महाप्रबंधक (बाल स्वास्थ्य) डा. सूर्यांशु ओझा ने बताया कि पांच वर्ष तक के वे बच्चे जो विभिन्न गंभीर रोगों या किसी दुर्घटना में गंभीर रूप से घायल हैं।
उच्चस्तरीय उपचार
उन्हें पीडियाट्रिक आइसीयू में उच्चस्तरीय उपचार की सुविधा मिलेगी। वहीं कम वजन वाले या समय से पहले जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं के भी उपचार की सुविधा में तेजी से बढ़ोतरी की जा रही है। अभी 297 सरकारी अस्पतालों में कंगारू मदर केयर (केएमसी) की सुविधा है। अब आगे सभी 122 स्पेशल न्यू बार्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) व 400 नवजात शिशु स्टेबिलाइजेशन यूनिट (एनबीएसयू) में भी इसका विस्तार किया जाएगा। केएमसी की मदद से नवजात शिशु मृत्यु दर में कमी लाने की लगातार कोशिश की जा रही है।
केएमसी के माध्यम से
केएमसी के माध्यम से नवजात शिशु के शरीर के तापमान को सामान्य रखने, उसे मां द्वारा स्तनपान कराने और शिशु व मां के बीच भावनात्मक संबंध बना रहे, इसकी कोशिश की जाती है। शिशु को कपड़े पहनाकर पेट के बल मां की छाती पर इस प्रकार रखा जाता है, जिससे उसे गर्माहट मिले क्योंकि समय से पूर्व जन्म लेने व कम वजन वाले बच्चों की त्वचा अत्यंत पतली होती है और उनमें वसा भी कम होती है जिसके कारण तापमान नियंत्रित नहीं हो पाता।