प्रयागराज के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी..

By Arun Kumar

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शहादत छोटी उम्र में बड़ा नाम कर गए आजादी के मतवाले

● तेरह साल की उम्र में शहीद हुए थे रमेश मालवीय

● 17 बरस की उम्र में त्रिलोकीनाथ कपूर ने दिया बलिदान

प्रयागराज। स्वतंत्रता आंदोलन जब चरम पर था तब हर कोई आजादी के लिए आवाज बुलंद कर रहा था। उस समय जंग-ए-आजादी में शहर के कई सपूत मातृभूमि के लिए बलिदान हो गए।

उन शहीदों में रमेश मालवीय, त्रिलोकीनाथ कपूर, ननका हेला, द्वारिका प्रसाद और अब्दुल मजीद का नाम प्रमुख रहा। शहीदों में अहियापुर के रहने वाले रमेश मालवीय सबसे कम उम्र के थे। सीएवी स्कूल के 9वीं के छात्र रमेश की उम्र महज 13 साल की थी जब वह शहीद हो गए। पिता भानु वैद्य ने बेटे के लिए तमाम सपने संजोए थे।

बुढ़ापे का सहारा समझा था। लेकिन फिरंगियों से वतन को आजाद कराने की तमन्ना किशोर रमेश की आंखों में चमक रही थी। इस बीच 12 अगस्त, 1942 को चौक में क्रांतिकारियों ने जुलूस निकाला। उसमें बलूच रेजीमेंट के नायक को रमेश ने पत्थर मार दिया। नायक ने रमेश की आंख में गोली मार दी और वह शहीद हो गए।

इसी तरह सीएवी के छात्र त्रिलोकीनाथ कपूर भी शहीद हो गए। 13 अप्रैल, 1932 को शहर में एक जुलूस निकला जो कमला नेहरू रोड और हीवेट रोड के चौराहे पर पहुंचा। वहां अंग्रेज सिपाहियों ने रास्ता रोक दिया। अंग्रेज मजिस्ट्रेट ने कहा कि जुलूस लेकर चले जाओ नहीं तो गोली चला देंगे। उस जुलूस में 17 साल के छात्र त्रिलोकीनाथ कपूर भी शामिल थे। जुलूस के दमन के लिए गोली चलाने का आदेश दे दिया। उस समय त्रिलोकीनाथ ने सीना तानकर कहा कि मुझे गोली मार दो। अंग्रेजों की गोली से वीर छात्र ने प्राणोत्सर्ग कर दिया।

सीएवी स्कूल के बरामदे में शहीद रमेश मालवीय और त्रिलोकीनाथ कपूर दोनों छात्रों की प्रतिमा 25 जनवरी, 2020 को स्थापित की गई थी। प्रतिमा का अनावरण न्यायमूर्ति गोविंद माथुर ने किया था। स्कूल को यह प्रतिमा पूर्व मंत्री सुभाष पांडेय ने दी थी। प्रतिमा में दोनों शहीदों के बारे में जानकारी लिखी गई है। 15 अगस्त को प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की जाएगी।

मजीद, ननका और द्वारिका की अमर हो गई शहादत

अंग्रेजों के खिलाफ कोतवाली में विरोध प्रदर्शन हो रहा था। उसी भीड़ में 18 साल के अब्दुल मजीद हाथ में तिरंगा लेकर आवाज बुलंद कर रहे थे। टोली की अगुवाई कर रहे अब्दुल मजीद पर अंग्रेज सिपाहियों ने गोलियां बरसा दीं। वतन के लिए वीर सपूत वंदे मातरम कहते हुए शहीद हो गया। आंदोलन कारियों का शांतिपूर्ण प्रदर्शन चौक में हो रहा था। उसी समय 22 साल के द्वारिका प्रसाद को अंग्रेज सिपाहियों ने गोलियां से भून दिया। ननका हेला कोतवाली में सफाईकर्मी थे। 12 अगस्त 1942 को ननका तिरंगा लेकर बलूच रेजीमेंट के बीच से कोतवाली में प्रवेश कर गए। कोतवाली की छत पर चढ़कर यूनियन जैक उतार कर तिरंगा फहरा दिया। उस समय 30 साल के ननका को अंग्रेज सिपाही ने गोली मार दी और वह शहीद हो गए। तीनों अमर शहीदों का स्मारक स्मार्ट सिटी की ओर से शहीद वाल पर बनाया जा रहा है। लाल पत्थर पर जीवन गाथा लिखी जाएगी।

निष्कर्ष

भारतीय सरोकार में आपका स्वागत है। उस जुलूस में 17 साल के छात्र त्रिलोकीनाथ कपूर भी शामिल थे। जुलूस के दमन के लिए गोली चलाने का आदेश दे दिया। उस समय त्रिलोकीनाथ ने सीना तानकर कहा कि मुझे गोली मार दो। अंग्रेजों की गोली से वीर छात्र ने प्राणोत्सर्ग कर दिया। इस पोस्ट के माध्यम से आपको पूरी जानकारी मिल चुकी होगी।

FAQ

Q. प्रयागराज के प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी कोन थे?

A. रमेश मालवीय, त्रिलोकीनाथ कपूर, ननका हेला, द्वारिका प्रसाद और अब्दुल मजीद का नाम प्रमुख रहा

Q. हाथ में तिरंगा लेकर आवाज बुलंद कर रहे थे।

A. अब्दुल मजीद

Arun Kumar

Arun Kumar is a senior editor and writer at www.bhartiyasarokar.com. With over 4 years of experience, he is adept at crafting insightful articles on education, government schemes, employment opportunities and current affairs.

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