स्वर्गाश्रम मंदिर का इतिहास

स्वर्गाश्रम मंदिर

स्वर्गाश्रम मंदिर उत्तर प्रदेश के बस्ती के सुप्रसिद्ध मंदिरों में से एक माना जाता है। यहां पर पूजा पाठ के लिए क्षेत्र के अलावा लोग दूसरे जिले से भी आते हैं। इस मंदिर की कलाकृतियां इतनी खूबसूरत हैं कि लोगों का मन मोह लेते है।

History of Swargashram Temple

भरतराज सिंह एवं परशुराम सिंह के मन में अभिलाषा हुई कि वह जन सहयोग से शिवालय का निर्माण कराएं। 2002 में इस मंदिर की आधारशिला रखी गई। 2005 में मंदिर भवन बनकर तैयार हुआ इस मंदिर में दर्शन करने से मन को शांति मिलती है। जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से प्रार्थना करता है. उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

आस्था का केन्द्र स्वर्गाश्रम मंदिर

कप्तानगंज। जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर स्थित स्वर्गाश्रम मंदिर कप्तानगंज पोखरा पर सड़क के दाहिनी और स्वर्गाश्रम मंदिर स्थित है। यहां निजी वाहन अथवा टैक्सी से पहुंचा जा सकता है।

कौड़ी कोल मंदिर का इतिहास

शिवालय का निर्माण कराएं। 2002 में इस मंदिर की आधारशिला रखी गई। 2005 में मंदिर भवन बनकर तैयार हुआ

विशाल मेले का आयोजन

क्षेत्रीय जन यहां दर्शन, पूजन व मनौती को आते हैं। सावन महीने व मलमास, नवरात्रि, महाशिवरात्रि मैं विशाल मेले का आयोजन होता रहता है यहां शिवभक्तों की भारी भीड़ जुटती है।
जन्माष्टमी पूर्व भी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। मकर संक्रान्ति के दिन भी मेला लगता है। इसके अगले दिन विशाल भण्डारा होता है जिसमें हजारों की संख्या में लोग प्रसाद ग्रहण करते हैं। माता-पिता की स्मृति में बने इस मंदिर को स्वर्गाश्रम नाम दिया गया।

कार्यक्रम

मंदिर के पुजारी पं. बजरंगी कहते हैं कि श्रीमद्भागवत कथा, श्रीराम कथा, यज्ञ अनुष्ठान, मुण्डन, विवाह, संस्कार सहित वर, कन्या का दिखाने का यहां काम होता है। समय-समय पर अनेकों कार्यक्रम होते रहते हैं और श्रद्धालु प्रतिदिन पूजा अर्चना के लिए आते रहते हैं

लोगो का आस्था

मंदिर में श्रद्धालु सच्चे मन से जो मनोकामना ईश्वर से मांगते है, वह पूर्ण होती है। यहां दूर-दराज के इलाकों से भी लोग भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने आते हैं।
अजय कुमार उपाध्याय, कौड़ी कोल गांव के

राजेश तिवारी रोजाना पूजा अर्चना के लिय आते हैं और वो बताते हैं कि मंदिर के प्रति लोगों की श्रद्धा काफी अधिक है क्योंकि मंदिर में जो भी सच्चे मन से नतमस्तक होता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूरी होती
हैं।

लोग बताते हैं कि सिंह बन्धुओं ने इस विशालकाय मंदिर का निर्माण कराकर हजारों लोगों के लिए अच्छा व नेक कार्य किया है। यहां आने से सबका भला होता है। मूर्तिकार जंगबहादुर सिंह ने अपने कुशले हाथों से ऐसी कारीगरी की है कि यहां आने वाला हर कोई यह कहने को मजबूर हो जाता है।

निष्कर्ष

भारतीय सरोकार में आपका स्वागत है। यहां पर पूजा पाठ के लिए क्षेत्र के अलावा लोग दूसरे जिले से भी आते हैं। इस मंदिर की कलाकृतियां इतनी खूबसूरत हैं कि लोगों का मन मोह लेते है।

FAQ

Q. स्वर्गाश्रम मंदिर कहा स्थित है?

A. उत्तर प्रदेश के बस्ती विकास खंड कप्तानगंज के कौड़ी कोल (kaudi kol) में

Q. स्वर्गाश्रम मंदिर की स्थापना कब हुआ?

A. स्वर्गाश्रम मंदिर की स्थापना 2002 में हुआ

4 thoughts on “स्वर्गाश्रम मंदिर का इतिहास”

Leave a comment