प्राचीन शिव मंदिर का अनूठा इतिहास

By Arun Kumar

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शिव मंदिर का अनूठा इतिहास

फिरोजपुर। देश की राजधानी दिल्ली से करीब 110 दूरी पर मेवात के कस्बा फिरोजपुर झिरका (Firozpur Jhirka) की अरावली पर्वत श्रृंखलाओं (Aravali mountain ranges) में स्थित प्राचीन शिव मंदिर का अनूठा इतिहास बड़ा ही रोचक है।

मंदिर का इतिहास

मंदिर की मान्यता यह है कि पांडवों (Pandavas) ने अज्ञातवास के वक्त इस रमणीक स्थल (Scenic Spot) पर पूजा – पाठ कर शिवलिंग (Shivalinga) की स्थापना हुआ था।

या तभी से प्राचीन शिव मंदिर तपोभूमि के रूप में विख्यात हुआ। इस पांडवकालीन मंदिर (Pandava period temple) में पर शिव रात्रि पर विशाल मेले का आयोजन होता है। मेले में राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा सहित दिल्ली से भरी संख्या में शिव भक्त यहां आते हैं।

मंदिर की मान्यता

सन् 1846 के तत्कालीन तहसीलदार जीवन लाल शर्मा (Tehsildar Jeevan Lal Sharma) को अरावली का पर्वत श्रृंखलाओं (Mountain chains) में शिव लिंग का सपना देखा था। इसका अनुसरण करते हुए पवित्र शिवलिंग खोज निकाला। इसके बाद से ही इस स्थान पर पूजा-पाठ शुरू कर दिया। इस के बाद से श्रद्धालुओं का जमघट लगना शुरू हो गया।

आस्था

बता दे आस्था-प्राचीन (faith-Ancient) समय से इस मंदिर में एक कदम का वृक्ष है। इस वृक्ष की मान्यता यह है कि यह पर अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए जो सच्चे मन से रिबन, धागा बांधता है, उसकी मुराद जरूर पूरा होती है।

निष्कर्ष

भारतीय सरकार ने आपका स्वागत है आपको बता दे इस मंदिर की विशेषता इस मंदिर का इतिहास से संबंधित पूरी जानकारी इस पोस्ट के माध्यम से आपको दे दी गई है।

FAQ

Q. शिव मंदिर का अनूठा की दूरी ?

A. देश की राजधानी दिल्ली से करीब 110 दूरी पर मेवात के कस्बा फिरोजपुर झिरका की अरावली पर्वत श्रृंखलाओं में स्थित हैं।

Q.मंदिर का इतिहास का इतिहास?

A. पांडवों ने अज्ञातवास के वक्त इस रमणीक स्थल पर पूजा – पाठ कर शिवलिंग की स्थापना हुआ था।

Q. प्राचीन शिव मंदिर का अनूठा कब का है?

A. सन् 1846

Arun Kumar

Arun Kumar is a senior editor and writer at www.bhartiyasarokar.com. With over 4 years of experience, he is adept at crafting insightful articles on education, government schemes, employment opportunities and current affairs.

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